कुल्लू में 284 करोड़ रुपये की बिजली महादेव रोपवे परियोजना की स्थापना के ग्रामीणों के कड़े विरोध के बीच, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश सरकार और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, हिमाचल प्रदेश सरकार, राज्य वन विभाग और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर 25 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई से पहले आरोपों का जवाब देने का निर्देश दिया है।
एनजीटी का यह आदेश ऐसे समय में आया है जब ग्रामीण 2.4 किलोमीटर लंबे रोपवे प्रोजेक्ट को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जो पिरडी को पहाड़ी की चोटी पर स्थित बिलजी महादेव मंदिर से जोड़ेगा।
स्थानीय ग्रामीण भी पर्यावरण संबंधी चिंताओं और धार्मिक भावनाओं का हवाला देते हुए रोपवे परियोजना का विरोध कर रहे हैं। यह रोपवे केंद्र सरकार की ‘पर्वतमाला’ पहल का हिस्सा है और इससे प्रतिदिन 36,000 यात्री यात्रा कर सकेंगे, जिससे यह कठिन यात्रा केवल सात मिनट में पूरी हो जाएगी।
दिलचस्प बात यह है कि पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद महेश्वर सिंह, जो कुल्लू के पूर्व राजघराने के वंशज हैं, भी रोपवे के खिलाफ जन आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, “देवी संस्कृति की अपनी प्रासंगिकता है और इसका सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए। बिजली महादेव पहाड़ियों में दरारें पड़ने और कुल्लू-मनाली राजमार्ग को नुकसान पहुँचने की खबरें आ रही हैं, जो देवता के प्रकोप का स्पष्ट संकेत है। हमें रोपवे परियोजना को छोड़ देना चाहिए।”
एनजीटी की यह कार्रवाई स्थानीय निवासी नचिकेता शर्मा द्वारा दायर एक याचिका पर आई है, जिसमें उन्होंने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील खराल घाटी और बिजली महादेव पहाड़ियों में बड़े पैमाने पर वनों की कटाई और ढलानों के अस्थिर होने पर गंभीर चिंता जताई थी। उन्होंने उचित पर्यावरणीय मूल्यांकन के अभाव और क्षेत्र के नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र की उपेक्षा का हवाला देते हुए परियोजना को तुरंत रोकने की मांग की थी।