नई दिल्ली, इस साल की शुरुआत में आस्ट्रेलिया में खालिस्तानी आंदोलन ने आक्रामक रूप ले लिया। इस दौरान लगभग आधा दर्जन हिंदू मंदिरों पर हमला किया गया।
मेलबर्न में 12 से 23 जनवरी के बीच तीन हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया। मंदिर के पुजारियों को ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने के लिए धमकी भरे फोन आए।
इस पर भारत ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार से सख्त विरोध दर्ज कराया। मामले के आरोपियों को कानून के कटघरे में लाने की मांग की। हाल ही में खालिस्तान की मांग करने वाली भीड़ ने ब्रिस्बेन में भारतीय वाणिज्य दूतावास को जबरन बंद कर दिया गया।
ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस की निष्क्रियता ने खालिस्तान समर्थकों को मनोबल बढ़ा दिया। उन्होंने सिडनी मुरुगन मंदिर के निदेशक को बुलाया और उन्हें खालिस्तान समर्थक नारे लगाने की धमकी दी।
पुलिस को सूचित करने के बावजूद प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) द्वारा जनवरी में एक जनमत संग्रह के आह्वान के दौरान मेलबर्न में फेडरेशन स्क्वॉयर पर भारतीयों पर लाठियों से हमला किया गया।
एंड्रयू जाइल्स और टिम वॉट्स जैसे शीर्ष ऑस्ट्रेलियाई नेताओं ने भारतीयों पर हमले की निंदा की।
इस महीने की शुरुआत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बनीज के बीच द्विपक्षीय बैठक से ठीक पहले देश में भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया गया। उच्चायुक्त बैरी ओ’फेरेल ने कहा कि आस्ट्रेलिया में तथाकथित खालिस्तान जनमत संग्रह की कानूनी स्थिति नहीं है।
अल्बनीज ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया धर्मस्थलों पर होने वाले हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा। नई दिल्ली में एक प्रेस मीट को संबोधित करते हुए उन्होंेने कहा कि हिंदू मंदिरों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई के लिए आस्ट्रेलिया में कोई जगह नहीं है।
विक्टोरिया पुलिस ने 20 मार्च को खालिस्तान जनमत संग्रह की घटना में शामिल होने के संदेह में छह लोगों की तस्वीरें जारी कीं। इसने पहले दो लोगों को गिरफ्तार किया था और उन्हें दंगाई व्यवहार के लिए जुमार्ना नोटिस जारी किया था।
आस्ट्रेलिया में सिखों की संख्या 2 लाख 10 हजार से अधिक है और 2021 तक ऑस्ट्रेलिया की आबादी का 0.8 प्रतिशत हिस्सा है, जो देश का पांचवां सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ता धार्मिक समूह है।
सिखों की एक छोटी लेकिन प्रभावशाली संख्या खालिस्तान के विचार का समर्थन करती है, लेकिन राजनीतिक रूप से इसे समर्थन नहीं मिला है। आस्ट्रेलिया के विदेश मामलों के मंत्री पेनी वोंग कहा कि ऑस्ट्रेलिया भारत की संप्रभुता का सम्मान करता है।
वरिष्ठ ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार डॉ. अमित सरवालने आईएएनएस को बताया कि विभिन्न प्रमुख और छोटी पार्टियों में ज्यादातर बैकबेंचर और स्वतंत्र सांसद, जो सिखों के प्रति समर्थन जता रहे हैं, खालिस्तानी आंदोलन के साथ नहीं हैं। हालांकि एसएफजे इसे खालिस्तान के समर्थन के रूप में पेश कर रहा है।
सरवाल ने कहा, मुझे यकीन है कि जो नेता खालिस्तानी आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं, उन्हें उन्हें पता नहीं है कि वे किसके साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि खालिस्तानी ऑस्ट्रेलिया में सिखों की सद्भावना पर सवारी करने की कोशिश कर रहे हैं।