वाशिंगटन, अमेरिका स्थित खालिस्तानी अलगाववादियों पर अब अमेरिकी सरकार का ध्यान गया है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने पिछले सप्ताह सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में हुई हिंसा पर एक ट्वीट में कहा, हम सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास के खिलाफ हिंसा की कार्रवाई की निंदा करते हैं।
उन्होंने कहा, हम दुतावास व यहां काम करने वालों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। विदेश विभाग इस मामले में उठाए जाने वाले अगले कदमों पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के संपर्क में है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने भी एक प्रश्न के उत्तर में पहले एक समाचार ब्रीफिंग में इसी तरह की भावना व्यक्त की थी।
सैन फ्रांसिस्को हमले के लिए जिम्मेदार खालिस्तानी अलगाववादी अब चल रही जांच का लक्ष्य हो सकते हैं। वे अमेरिकी सुरक्षा और कानून प्रवर्तक एजेंसियों के रडार पर हैं।
भारत सरकार अमेरिका को खालिस्तानी अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर रही है, खासकर गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ, जो न्यूयॉर्क स्थित सिख्स फॉर जस्टिस के तहत भारतीय मिशनों के बाहर लगातार विरोध प्रदर्शनों के लिए जिम्मेदार रहा है।
भारत सरकार ने पन्नू को 2020 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एक आतंकवादी घोषित किया था। इसमें कहा गया था कि ये व्यक्ति विदेशी धरती से आतंकवाद के विभिन्न कृत्यों में शामिल हैं। वे पंजाब में उग्रवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं।
समझा जाता है कि भारत ने अमेरिकी अधिकारियों को इन गतिविधियों में पन्नू की भागीदारी के दस्तावेज और सामग्री प्रदान की है, यह भी समझा जाता है कि पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस द्वारा उसके समर्थन का सबूत भी दिया है।
अमेरिकी सिख समुदाय में खालिस्तानी अलगाववादी हाशिये पर हैं, और उनकी संख्या भी वर्षों से घटती जा रही है। वे स्थानीय रूप से सक्रिय रहते हैं।
2013 में, उनमें से कुछ सिख कांग्रेसनल कॉकस के आयोजकों में से थे, जो सांसदों का एक द्विदलीय समूह था, जिसने पहले धर्म-आधारित कांग्रेसनल कॉकस के रूप में सुर्खियां बटोरीं। भारत सरकार ने आयोजकों के बीच खालिस्तानी अलगाववादियों की मौजूदगी की ओर इशारा करते हुए चिंता व्यक्त की थी।
अमेरिकी सिख समुदाय अमेरिकी कांग्रेस और प्रशासन के लिए आक्रामक रूप से पैरवी करता है, विशेष रूप से समुदाय के सदस्यों के खिलाफ बढ़ते घृणा-अपराधों के मुद्दे के समाधान करने के लिए। सिख गठबंधन और सिख कानूनी रक्षा और शिक्षा कोषइन प्रयासों का सबसे प्रभावी ढंग से नेतृत्व करते हैं। उनका खालिस्तानी अलगाववादियों से कोई लेना देना नहीं है।
अमेरिकी अधिकारियों के राडार पर होने के बावजूद अलगाववादी अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं। वाशिंगटन में भारतीय दूतावास के बाहर बार-बार झंडे जलाने से लेकर महात्मा गांधी की मूर्ति को विरूपित करने तक। सैन फ्ऱांसिस्को में भारतीय मिशन पर हुआ हमला उन सबमें सबसे भयानक था।