रोहतक, 3 जून रोहतक में रेड क्रॉस नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र के कर्मचारियों को 32 महीने से मानदेय नहीं मिला है। करीब तीन साल से वेतन न मिलने के कारण कर्मचारियों को बैंकों और निजी साहूकारों से कर्ज लेकर गुजारा करना पड़ रहा है।
नाम न बताने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया, “कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है और कर्ज पर ब्याज चुकाना भी मुश्किल हो गया है। हालांकि, हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है क्योंकि हमें अपने परिवारों का ख्याल रखना है।”
यह केंद्र कई महीनों से बंद पड़ा है क्योंकि परामर्शदाता/परामर्शदाता कहीं और तैनात हो गए हैं या सेवानिवृत्त हो गए हैं। अभी केंद्र पर एक स्टाफ नर्स, एक वार्ड बॉय और एक सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं।
एक कर्मचारी ने दुख जताते हुए कहा, “केंद्र न तो ठीक से चलाया जा रहा है और न ही इसे बंद किया गया है, जिससे हम लोग परेशानी में हैं।”
मुख्यमंत्री शिकायत निवारण प्रणाली में एक कर्मचारी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के जवाब में जिला रेड क्रॉस शाखा ने कहा था कि उनके पास कर्मचारियों को मानदेय देने के लिए कोई धनराशि नहीं है।
हाल ही में प्रभावित कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की और उन्हें अपनी समस्या से अवगत कराया। इसके बाद कर्मचारियों को मुख्यमंत्री कार्यालय से जानकारी दी गई कि उनके मानदेय के लिए अनुदान जारी कर दिया गया है। हालांकि, उन्हें अभी तक यह अनुदान नहीं मिला है।
कर्मचारियों ने रोहतक के उपायुक्त से भी मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी चिंता का समाधान राज्य प्राधिकारी द्वारा किया जाएगा।
जिला रेडक्रॉस सोसायटी (रोहतक) के सचिव प्रदीप हुड्डा ने कहा कि जिला प्रशासन राज्य प्राधिकारियों के साथ इस मामले को आगे बढ़ा रहा है तथा अनुदान प्राप्त होते ही मानदेय दे दिया जाएगा।
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