देहरादून, 19 जुलाई । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में गुरुवार को मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इसमें कई बड़े फैसले लिए गए हैं।
किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा बद्रीनाथ, केदारनाथ धाम के नाम से कोई ट्रस्ट आदि बनाया जाता है, तो राज्य सरकार उसके खिलाफ विधिक कार्यवाही करेगी। कैबिनेट की बैठक में इसके लिए विधिक प्रावधान बनाने पर सहमति बनी है। ऐसे में अब उत्तराखंड के चार धाम और प्रमुख मंदिरों के नाम से मिलते जुलते नामों को लेकर अब कड़ा कानून बनेगा।
आपको बता दें कि हाल ही में दिल्ली में केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर बनाने को लेकर खड़े हुए विवाद के बाद उत्तराखंड सरकार ने यह निर्णय लिया है।
दरअसल दिल्ली के बुराड़ी स्थित हिरनकी में ‘श्री केदारनाथ धाम’ के नाम से मंदिर स्थापित किए जाने का बीते दिनों विरोध देखने को मिला था। केदारनाथ के प्रतीकात्मक मंदिर निर्माण का भूमि पूजन और शिलान्यास सीएम धामी ने किया था। इसके बाद केदारघाटी की जनता और केदारनाथ का पंडा समाज आहत और आक्रोशित नजर आए।
विपक्ष जहां लगातार सवाल खड़े कर रहा था, तो वहीं केदार घाटी में पंडा पुरोहितों सहित स्थानीय लोग इसका विरोध करते नजर आए।
इस घटनाक्रम को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि हमारा ज्योतिर्लिंग एक ही है, उसका स्थान एक ही है, दूसरे स्थान पर धाम नहीं हो सकता। प्रतीकात्मक रूप से मंदिर अनेक स्थानों पर बने हैं। ऐसे स्थानों पर मंदिर बनते रहें, लेकिन मूल ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड राज्य के अंदर है। दूसरे स्थान पर धाम नहीं हो सकता। धाम केवल एक ही है, जो उत्तराखंड देवभूमि में है।
केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि ऐसा कर हिंदू परंपराओं के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार को इस फैसले को शीघ्र वापस लेना चाहिए, नहीं तो हमारी तैयारी बड़े आंदोलन की है। यह हिंदू आस्था के साथ सनातन और वैदिक परंपरा का अपमान है।
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