N1Live National गुटनिरपेक्ष आंदोलन: स्वतंत्रता, संप्रभुता और वैश्विक शांति का मंच, विकासशील देशों की एकजुटता की कहानी
National

गुटनिरपेक्ष आंदोलन: स्वतंत्रता, संप्रभुता और वैश्विक शांति का मंच, विकासशील देशों की एकजुटता की कहानी

Non-Aligned Movement: A platform for freedom, sovereignty and global peace, a story of solidarity of developing countries

गुट निरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) स्वतंत्रता और संप्रभुता के सिद्धांतों पर टिका एक वैश्विक मंच है, जो विश्व शांति और सहयोग को बढ़ावा देता है। इसकी स्थापना 1 सितंबर 1961 को यूगोस्लाविया के बेलग्रेड में हुई थी। इस ऐतिहासिक पहले शिखर सम्मेलन में 25 देशों ने हिस्सा लिया था, जिसने विश्व शांति और सहयोग को बढ़ावा देने वाले इस अनूठे मंच की नींव रखी थी।

मौजूदा समय में गुट निरपेक्ष आंदोलन विश्व के 120 से अधिक विकासशील देशों के बीच एकता, स्वतंत्रता और सहयोग का प्रतीक है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन शीत युद्ध के दौर में उभरा, जब विश्व दो महाशक्ति गुटों अमेरिका और सोवियत संघ में बंटा हुआ था। गुट निरपेक्ष आंदोलन विश्व के उन राष्ट्रों का एक अनूठा मंच है, जो किसी भी वैश्विक शक्ति ब्लॉक के साथ या उसके विरोध में होने से इनकार करते हैं।

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, यूगोस्लाविया के जोसिप ब्रोज टीटो, मिस्र के गमाल अब्देल नासेर, घाना के क्वामे एनक्रूमा और इंडोनेशिया के सुकर्णो जैसे नेताओं ने मिलकर इसकी नींव रखी। इसका उद्देश्य था कि नवस्वतंत्र देश किसी भी महाशक्ति के प्रभाव में आए बिना अपनी संप्रभुता और स्वतंत्र नीतियों को बनाए रखें।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन का आधार 1955 के बांडुंग सम्मेलन में रखे गए दस सिद्धांत हैं, जो सभी राष्ट्रों की संप्रभुता, समानता, क्षेत्रीय अखंडता और गैर-हस्तक्षेप को बढ़ावा देते हैं।

यह गुटनिरपेक्ष आंदोलन उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और नस्लवाद के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बना। आज गुटनिरपेक्ष आंदोलन संयुक्त राष्ट्र के बाद विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक समन्वय मंच है, जिसमें 120 देश और कई पर्यवेक्षक देश शामिल हैं। यह विश्व की लगभग 55 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, जो मुख्य रूप से विकासशील देशों से है।

भारत ने इस आंदोलन में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1983 में नई दिल्ली में आयोजित सातवां गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन इसका उदाहरण है, जिसकी मेजबानी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने की थी। यह सम्मेलन भारत की वैश्विक कूटनीति और नेतृत्व को दर्शाता है। हालांकि, हाल के वर्षों में भारत की गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के प्रति सक्रियता में कमी आई है, क्योंकि वैश्विक राजनीति और भारत के आर्थिक हित बदल रहे हैं। फिर भी गुटनिरपेक्ष आंदोलन आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और शरणार्थी संकट जैसे समकालीन मुद्दों पर सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करता है।

आज के दौर में जब विश्व बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, गुटनिरपेक्ष आंदोलन की प्रासंगिकता फिर से उभर रही है। यह विकासशील देशों को एक स्वतंत्र आवाज देता है, जो वैश्विक शांति, आर्थिक समानता और सतत विकास की दिशा में काम कर सकती है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन दिवस हमें याद दिलाता है कि एकजुटता और स्वतंत्र नीतियों के माध्यम से विश्व में शांति और समृद्धि संभव है।

Exit mobile version