June 15, 2025
National

ओडिशा : पुरी जगन्नाथ मंदिर में देवस्नान पूर्णिमा का भव्य आयोजन, मुख्यमंत्री हुए शामिल

Odisha: Grand celebration of Devsnan Purnima at Puri Jagannath Temple, Chief Minister attended

ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में बुधवार को देवस्नान पूर्णिमा का पवित्र पर्व भक्ति और भव्यता के साथ मनाया गया। हजारों भक्त भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा और सुदर्शन के पवित्र स्नान अनुष्ठान को देखने के लिए मंदिर पहुंचे।

इस खास मौके पर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और कई विधायकों ने भी मंदिर में दर्शन किए और अनुष्ठानों में हिस्सा लिया। सुबह 5:32 बजे मंगलार्पण के साथ अनुष्ठान शुरू हुआ। इसके बाद भगवान सुदर्शन, बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ की पहांडी (जुलूस) स्नान मंडप तक ले जाई गई।

भगवान सुदर्शन की पहांडी (रथ पर चढ़ने की प्रक्रिया) सुबह 5:45 बजे, बलभद्र की 5:53 बजे, सुभद्रा की 6:06 बजे और भगवान जगन्नाथ की 6:22 बजे शुरू हुई। सुबह 7:46 बजे जलाभिषेक अनुष्ठान शुरू हुआ, जिसमें सुनकुआ (स्वर्ण कुआं) से लाए गए पवित्र जल के 108 घड़ों से देवताओं का स्नान कराया गया।

यह परंपरा जगन्नाथ संस्कृति का अनमोल हिस्सा है। सुबह 8:42 बजे भगवान जगन्नाथ के स्नान मंडप पहुंचने के साथ पहांडी अनुष्ठान पूरा हुआ। इस अवसर पर मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पिपिली विधायक आश्रित पटनायक, सत्यबाड़ी विधायक उमा शंकर और ब्रह्मपुर विधायक उपासना महापात्रा के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।

उन्होंने स्नान मंडप से पहांडी अनुष्ठान देखा और भक्तों का अभिवादन किया। मुख्यमंत्री ने हाथ जोड़कर और दर्शक दीर्घा से हाथ हिलाकर भक्तों का स्वागत किया, जिसे भीड़ ने उत्साह से जवाब दिया।

देवस्नान पूर्णिमा का यह पर्व इसलिए खास है, क्योंकि इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन को गर्भगृह से बाहर लाकर सार्वजनिक दर्शन के लिए स्नान मंडप पर रखा जाता है। यह साल का एकमात्र मौका होता है, जब भक्त इन अनुष्ठानों को इतने करीब से देख पाते हैं। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि दृश्यों के लिहाज से भी मंत्रमुग्ध करने वाला होता है। साथ ही, यह विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा की तैयारियों की शुरुआत का भी प्रतीक है।

मंदिर प्रशासन ने इस आयोजन के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए थे, ताकि भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो। भक्तों ने इस पवित्र अवसर पर भगवान के दर्शन और अनुष्ठानों को देखकर खुद को धन्य महसूस किया। यह पर्व पुरी की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को और समृद्ध करता है।

Leave feedback about this

  • Service