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वेतन रोकने के फैसले पर हिमाचल के मुख्यमंत्री ने कहा, कोई आर्थिक संकट नहीं

On the decision to stop salaries, Himachal Chief Minister said, there is no economic crisis

शिमला, 1 सितंबर । हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए खुद व मंत्रियों के वेतन भत्ते दो महीने के लिए रोकने का ऐलान किया था।

इस फैसले के बाद प्रदेश में राजनीतिक बवाल मचा था। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में कोई आर्थिक संकट नहीं है। उन्होंने कहा कि यह फैसला अनुशासन और सुधारात्मक कदम के तहत लिया गया था और इसका राजनीत‍िकरण किया जा रहा है। हम हिमाचल प्रदेश को 2027 तक अच्छा और 2032 तक देश में आर्थिक तौर पर अग्रणी राज्‍य बनाने के लिए काम कर रहे हैं।

शिमला में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया कि सरकार प्रदेश को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने के लिए सुधारात्मक कदम उठा रही है। उन्होंने कहा, “जब सुधार किए जाते हैं, तो कुछ समय के लिए रुकावटें आती हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि प्रदेश में आर्थिक संकट है। हम व्यवस्थित ढंग से वित्तीय व्यवस्था को ठीक कर रहे हैं और वित्तीय अनुशासन में रहकर आगे बढ़ना चाहते हैं।”

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह भी कहा कि सैलरी रोकने का उद्देश्य केवल जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जो लोग बिजली का बिल भर सकते हैं, उन्हें बिजली मुफ्त क्यों दिया जाए? इसी तरह, जो पानी का बिल भर सकते हैं, उन्हें मुफ्त पानी क्यों दिया जाए? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा लोगों से झूठ बोल रही है और विधानसभा में बेवजह हंगामा कर रही है। भाजपा को उन्होंने थोड़ा अध्ययन करने की सलाह दी।

बता दें, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ये घोषणा की थी कि राज्य की वित्तीय स्थिति खराब होने की वजह से सभी मंत्र‍ियों व मुख्य संसदीय सचिव और कैबिनेट रैंक प्राप्त सलाहकार और सार्वजनिक उपक्रमों के अध्यक्षों एवं उपाध्यक्षों को दो माह तक के लिए वेतन भत्ते विलंबित किए जाएंगे।

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