नई दिल्ली, ओप्पो इंडिया के लिए एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने पाया है कि कंपनी 4,389 करोड़ रुपये के सीमा शुल्क की चोरी में शामिल थी। डीआरआई ने कहा, “गुआंगडोंग ओप्पो मोबाइल टेलीकम्युनिकेशंस कॉपोर्रेशन लिमिटेड, चीन की एक सहायक कंपनी ओप्पो मोबाइल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित एक जांच के दौरान, हमने लगभग 4,389 करोड़ रुपये की सीमा शुल्क चोरी का पता लगाया है। ओप्पो इंडिया पूरे भारत में मैन्युफैक्च रिंग, असेंबलिंग, होलसेल ट्रेडिंग, मोबाइल हैंडसेट और एक्सेसरीज के वितरण के कारोबार में लगी हुई है। ओप्पो इंडिया, ओप्पो, वनप्लस और रियलमी सहित मोबाइल फोन के विभिन्न ब्रांडों में डील करती है।”
इसने आगे कहा कि जांच के दौरान, ओप्पो इंडिया के कार्यालय परिसर और इसके प्रमुख प्रबंधन कर्मचारियों के आवासों पर तलाशी ली गई, जिसके कारण ओप्पो द्वारा आयातित कुछ वस्तुओं के विवरण में जानबूझकर गलत घोषणा का संकेत देने वाले आपत्तिजनक साक्ष्य बरामद हुए।
इस गलत घोषणा के चलते ओप्पो इंडिया ने 2,981 करोड़ रुपये की अपात्र शुल्क छूट लाभ का गलत फायदा उठाया। अन्य लोगों के अलावा, ओप्पो इंडिया के वरिष्ठ प्रबंधन कर्मचारियों और घरेलू आपूर्तिकर्ताओं से पूछताछ की गई, जिन्होंने अपने स्वैच्छिक बयानों में आयात के समय सीमा शुल्क अधिकारियों के सामने गलत विवरण प्रस्तुत करना स्वीकार किया।
जांच से यह भी पता चला कि ओप्पो इंडिया ने मालिकाना तकनीक/ब्रांड/आईपीआर लाइसेंस आदि के उपयोग के बदले चीन में स्थित विभिन्न बहुराष्ट्रीय कंपनियों को ‘रॉयल्टी’ और ‘लाइसेंस शुल्क’ के भुगतान के प्रावधान किए थे।
ओप्पो इंडिया द्वारा स्वेच्छा से 450 करोड़ रुपये की राशि जमा की गई है, क्योंकि उसके द्वारा आंशिक अंतर सीमा शुल्क का भुगतान किया गया है।
जांच पूरी होने के बाद ओप्पो इंडिया को कारण बताओ नोटिस जारी कर 4,389 करोड़ रुपये की सीमा शुल्क की मांग की गई है। उक्त नोटिस में सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के प्रावधानों के तहत ओप्पो इंडिया, उसके कर्मचारियों और ओप्पो चीन पर प्रासंगिक दंड का भी प्रस्ताव है।