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यूपी में सड़कों की बदहाली के लिए जिम्मेदार कंपनियों के मालिकों को लगी फटकार

Owners of companies responsible for the poor condition of roads in UP reprimanded

लखनऊ, 4 सितंबर । उत्तर प्रदेश में ‘जल जीवन मिशन’ के तहत बिछाई जा रही पाइप लाइन के लिए खोदी गई सड़कों की मरम्मत में लापरवाही देखी गई है। कंपनियों के ढीले रवैये से नाराज प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने कंपनी मालिकों को जमकर फटकारा।

30 सितंबर 2024 से पहले शत-प्रतिशत सड़कों की मरम्मत नहीं होने पर उनके खिलाफ एफआईआर कराने की चेतवानी दी गई है। ‘नमामि गंगे’ एवं ‘ग्रामीण जलापूर्ति विभाग’ के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने सैकड़ों करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनियों के प्रमुखों को लखनऊ तलब किया था।

प्रमुख सचिव ने एक-एक जिले के हालत की समीक्षा करते हुए मालिकों को कम से कम एक दिन खुद फील्ड पर पहुंचकर गावों में सड़क मरम्मत और नियमित जलापूर्ति के कार्य को देखने के निर्देश दिए।

15 दिनों बाद जिलों में प्रगति के ब्यौरे के साथ कंपनी के मालिकों को निर्देश देते हुए कहा कि 17 सितंबर की समीक्षा बैठक में तय हो जाएगा कि कौन सी कंपनी जल जीवन मिशन में आगे काम करेगी और किन कंपनियों के मालिक जेल जाएंगे और एफआईआर होगी। उन्होंने कहा कि पाइप लाइन बिछाने में काटी गई सड़कों की मरम्मत सरकार की प्राथमिकता है और इसे हर हाल में 30 सितंबर तक पूरा करना ही होगा।

प्रमुख सचिव ने मुजफ्फरनगर में काम कर रही एनकेजी कंपनी के मालिक को सुस्त रवैये पर जमकर लताड़ लगाते हुए तीन दिन में सड़क मरम्मत की गति को चार गुना बढ़ाने और नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित करने के साथ ही टर्मिनेशन नोटिस का निर्देश दिया।

प्रमुख सचिव ने अलीगढ़ में काम कर रही आईओएन एक्सचेंज, जेएमसी के साथ ही प्रयागराज में एलएनटी के मालिकों को सुधार की सख्त हिदायत दी।

बता दें कि काम की मॉनिटरिंग के लिए पांच लेवल पर टीमों का गठन किया गया है। जिले में अधिशासी अभियंताओं को मॉनिटरिंग की कमान दी गई है। इसके अलावा जल निगम ग्रामीण मुख्यालय या राज्य पेयजल स्वच्छता मिशन मुख्यालय से चीफ इंजीनियर लेवल के अधिकारियों को नियमित मॉनिटरिंग के साथ ही औचक निरीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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