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पाकिस्तान का दावा: पश्चिमी देशों की ओर से मिला यूएनएससी की स्थायी सदस्यता का ऑफर

Representatives vote during a UN Security Council meeting at the UN headquarters in New York.

इस्लामाबाद, पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसे कुछ शक्तिशाली पश्चिमी देशों की ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता के लिए अपनी उम्मीदवारी शुरू करने की पेशकश की गई है।

पाकिस्तान ने दावा किया कि उसे पश्चिमी देशों द्वारा यूएनएससी की स्थायी सदस्यता के लिए ऑफर दिया गया है, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में सुधार के लिए चल रहे गतिरोध को तोड़ने के लिए इस्लामाबाद को विकल्प चुनने का सुझाव दिया है।

दिलचस्प बात यह है कि सूत्रों ने खुलासा किया कि पाकिस्तान ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, क्योंकि देश ने इसे यूएनएससी में स्थायी सीटों के विस्तार का विरोध करने वाले समूह को कमजोर करने के लिए एक जानबूझकर अपनाई गई रणनीति के हिस्से के रूप में देखा है।

पाकिस्तान ने यह कहकर इस ऑफर को खारिज कर दिया है कि यह वास्तविक नहीं है और इसकी पेशकश इसलिए की गई है ताकि इस्लामाबाद यूएफसी (आम सहमति के लिए एकजुट होना) से हट जाए। यूएफसी यानी यूनाइटिंग फॉर कंसेंसस सुरक्षा परिषद के विस्तार का विरोध कर रहा है।

कुछ प्रभावशाली पश्चिमी देशों द्वारा पाकिस्तान को पेशकश की खबर की पुष्टि करते हुए, एक राजनयिक सूत्र ने कहा कि इस विचार को ठुकरा दिया गया है, क्योंकि इसकी वास्तविकता पर सवाल हैं।

अधिकारी ने कहा, “कुछ शक्तिशाली देशों ने हमसे संपर्क किया है और कहा है कि पाकिस्तान को यूएनएससी में स्थायी सीट के लिए अपनी बोली शुरू करनी चाहिए। पाकिस्तान ने इस विचार को ठुकरा दिया है, क्योंकि वह जानता है कि प्रस्ताव वास्तविक नहीं है, बल्कि यह इस्लामाबाद को यूएफसी छोड़ने के लिए प्रेरित करने की चाल है – ऐसा समूह, जो यूएनएससी के विस्तार का विरोध करता है।”

दरअसल, पाकिस्तान को ऐसा महसूस होता है कि असल में वह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य किसी भी हाल में नहीं बन पाएगा और भारत इसका पूरी तरह से हकदार दिखाई देता है। यही वजह है कि उसने इस कथित पेशकश को ठुकरा दिया है, ताकि भारत को स्थायी सदस्यता पाने से रोका जा सके। इटली के नेतृत्व वाले यूएफसी में पाकिस्तान के अलावा कनाडा, दक्षिण कोरिया, स्पेन, तुर्की और अर्जेंटीना जैसे देश भी शामिल हैं।

यह घटनाक्रम ऐसे समय पर सामने आया है, जब पाकिस्तान-इटली के नेतृत्व वाला समूह यूएफसी जी-4 समूह द्वारा सदस्यता पाने के प्रयास को विफल करने में कथित तौर पर सक्षम रहा है। जी-4 देशों में भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान शामिल हैं, जो यूएनएससी के स्थायी सदस्यों में विस्तार की मांग कर रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान, इटली, कनाडा, दक्षिण कोरिया, अर्जेंटीना, स्पेन और तुर्की सहित कम से कम 13 देशों का समूह यूएफसी यूएनएससी में स्थायी सीटों को बढ़ाने के खिलाफ है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हाल ही में सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए चल रही अंतर-सरकारी वार्ता को आम सभा के अगले सत्र तक वापस लेने का फैसला किया था और यूएफसी ने इसे अपनी सफलता के रूप में देखा था।

जी-4 के विपरीत यूएफसी में शामिल तमाम देश चाहते हैं कि सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता को न बढ़ाकर लंबी अवधि के लिए अस्थायी सदस्यता दी जाए और इसके साथ ही संबंधित देश को फिर से चुने जाने का अधिकार हो।

विदेश कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा, “यूएनएससी में सुधार की प्रक्रिया आम सभा की बैठक के बाद शुरू होने वाली है। इसमें किसी भी प्रकार के सुधार के लिए 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र आम सभा के दो तिहाई सदस्य देशों के वोट की आवश्यकता है। हालांकि फिलहाल किसी भी गुट के पास पर्याप्त संख्या नहीं है।”

वर्तमान में, यूएनएससी में वीटो पावर के साथ कम से कम पांच स्थायी सदस्य हैं, जबकि 10 गैर-स्थायी सदस्य दो साल के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं।

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