N1Live Himachal पालमपुर: न्यूगल नदी में अवैध खनन पर ‘सरकार की निष्क्रियता’ के खिलाफ ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन
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पालमपुर: न्यूगल नदी में अवैध खनन पर ‘सरकार की निष्क्रियता’ के खिलाफ ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

Palampur: Villagers protest against 'government inaction' on illegal mining in Neugal river

पालमपुर, 3 जुलाई थुरल उपमंडल की बट्ठान पंचायत के ग्रामीणों ने आज कांगड़ा के उपायुक्त हेमराज बैरवा से मुलाकात की तथा न्यूगल नदी में सक्रिय खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

ग्रामीणों ने पुलिस और खनन विभाग के रवैये पर कड़ा विरोध जताया और कहा कि विभाग ने इस समस्या के प्रति आंखें मूंद ली हैं।

स्थानीय लोगों की जीवन रेखा कांगड़ा घाटी में न्यूगल नदी को लोगों की जीवन रेखा माना जाता है क्योंकि आईपीएच विभाग ने 100 से अधिक पेयजल और सिंचाई आपूर्ति योजनाओं के लिए इस नदी से पानी निकाला है, लेकिन अवैध खनन के कारण कई सिंचाई योजनाएं पहले ही सूख चुकी हैं इस अवैध कार्य ने न केवल पर्यावरण असंतुलन पैदा किया है, बल्कि राज्य के खजाने को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। अवैज्ञानिक खनन और उत्खनन के परिणामस्वरूप बाढ़, बड़े पैमाने पर वनों की कटाई और भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं। पालमपुर के निचले इलाकों में खनन, उत्खनन और अन्य गतिविधियों से 25,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि प्रभावित हुई है, जिसके परिणामस्वरूप भूदृश्य में व्यापक परिवर्तन हुआ है।

ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे पंचायत प्रधान सीमा देवी और उपप्रधान सतपाल ने उपायुक्त को बताया कि न्यूगल नदी में अवैध खनन पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के प्रतिबंध के बावजूद क्षेत्र में यह कार्य बेरोकटोक जारी है।

गांव वालों ने बताया कि राज्य में खनन के लिए जेसीबी मशीनों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है, लेकिन खनन माफिया ने पिछले एक साल से संबंधित अधिकारियों की नाक के नीचे नदियों में ये मशीनें दबा रखी हैं। गांव वालों ने बताया कि बड़े पैमाने पर खनन ने उनका जीवन दयनीय बना दिया है, क्योंकि वे सो नहीं पाते, बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते और प्रदूषण भी कई गुना बढ़ गया है।

पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा कि इलाके में लगातार खनन के कारण सड़कें, सिंचाई नहरें, श्मशान घाट और गांव के चारागाह नष्ट हो गए हैं। पीडब्ल्यूडी, आईपीएच, राजस्व और वन विभाग मूकदर्शक बने हुए हैं और दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू करने में विफल रहे हैं।

एक ग्रामीण ने कहा, “स्थानीय निवासियों द्वारा अधिकारियों के समक्ष बार-बार शिकायत और विरोध दर्ज कराने के बावजूद, खनन माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और यह प्रथा क्षेत्र में फल-फूल रही है।”

न्यूगल नदी को लोगों की जीवन रेखा माना जाता है, क्योंकि सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग ने 100 से अधिक पेयजल एवं सिंचाई आपूर्ति योजनाओं के लिए इस नदी से पानी निकाला है, लेकिन अवैध खनन के कारण कई सिंचाई योजनाएं पहले ही सूख चुकी हैं।

इस अवैध कार्य ने न केवल पर्यावरण असंतुलन पैदा किया है, बल्कि राज्य के खजाने को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। अवैज्ञानिक खनन और उत्खनन के परिणामस्वरूप बाढ़, बड़े पैमाने पर वनों की कटाई और भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की है कि पालमपुर के निचले इलाकों में खनन, उत्खनन और अन्य गतिविधियों के कारण 25,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि प्रभावित हुई है, जिसके परिणामस्वरूप भूदृश्य में व्यापक परिवर्तन हुआ है।

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