एक उल्लेखनीय शैक्षणिक उपलब्धि में, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के विद्वानों की एक टीम ने भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) द्वारा स्वीकृत 90 लाख रुपये की एक प्रतिष्ठित शोध परियोजना हासिल की है।
यह परियोजना सामाजिक और मानव विज्ञान में अनुदैर्ध्य अध्ययन पर आईसीएसएसआर की प्रमुख पहल के अंतर्गत आती है और हिमाचल प्रदेश में पांडव सर्किट के विकास पर केंद्रित है।
अनुसंधान दल का नेतृत्व हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के व्यावसायिक अध्ययन संस्थान (आईवीएस) के प्रोफेसर नितिन व्यास कर रहे हैं, तथा इसमें हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएचपी) के प्रोफेसर सूर्या रश्मि, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के डॉ. जोगिंदर सकलानी और डॉ. प्रीति आर नागल तथा पर्यटन स्काउट्स, शिमला के सीईओ अनिल अत्री शामिल हैं।
इस परियोजना का वर्णन करते हुए, प्रोफ़ेसर व्यास ने कहा कि यह एक दूरदर्शी पहल है जिसका उद्देश्य पांडव सर्किट के सतत विकास के माध्यम से सांस्कृतिक संरक्षण और स्थानीय व्यवसायों की आजीविका में विविधता लाना है। उन्होंने कहा, “महाभारत के पांडव भाइयों की कथाओं से ओतप्रोत पांडव सर्किट, सिर्फ़ एक मार्ग से कहीं बढ़कर है – यह मंदिरों, रीति-रिवाजों, त्योहारों और आस्था का एक जीवंत संग्रह है जिसने सदियों से हमारी सांस्कृतिक पहचान को पोषित किया है।”
इस परियोजना का उद्देश्य विरासत संरक्षण और सामुदायिक सशक्तिकरण के बीच संतुलन बनाना है। डॉ. व्यास ने बताया, “हमारा लक्ष्य केवल पर्यटकों को आकर्षित करना नहीं है, बल्कि एक सतत विकास रोडमैप तैयार करना है – जो हमारी पवित्र परंपराओं का सम्मान करे और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को मज़बूत करे।” उन्होंने आगे कहा, “प्रोटोटाइप मॉडल गाँवों, कौशल विकास कार्यक्रमों, डिजिटल पहुँच और समावेशी पर्यटन रणनीतियों के माध्यम से, हमारा उद्देश्य यह दिखाना है कि कैसे परंपरा और प्रगति एक साथ रह सकते हैं और फल-फूल सकते हैं।”
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