मुंबई, 26 अक्टूबर। पंकज त्रिपाठी हिंदी सिने जगत का बड़ा नाम हैं। हर जॉनर की फिल्में की हैं। सीधे साधे त्रिपाठी रोमांटिक भी खूब हैं। अक्सर अपने प्यार की कहानी कई मंचों पर साझा करते आए हैं। इस बार उनकी पत्नी मृदुला ने अपने उन दिनों के प्यार की कहानी बताई है।
फिल्म निर्माता अतुल तैशेते के साथ बातचीत में अभिनेता पंकज त्रिपाठी की पत्नी मृदुला ने बताया कि उन्होंने पहली बार स्टार को एक तस्वीर में देखा था और उनकी प्रेम कहानी 1993 में शुरू हुई। इसके बाद दोनों ने साल 2004 में शादी कर ली।
मृदुला ने बताया ‘मैंने अपने पति को और उन्होंने मुझे पहली बार 23 मई 1993 को देखा था। उससे पहले हमने एक दूसरे को तस्वीरों में देखा था। यह तस्वीर मेरे भाई की शादी के लिए थी। एक लड़की की तस्वीर आई थी। तस्वीर में उसके दो भाई और माता-पिता थे। यह तब आई थी जब मैं नौवीं में थी और वह ग्यारहवीं में थे।
मृदुला ने बताया कि उन्होंने उस तस्वीर को अपने बैग में रख लिया और स्कूल ले गईं, जिसे देखकर उनकी दोस्त उन्हें काफी चिढ़ाती थीं। कहती थीं छोटा भाई तुम्हारे साथ अच्छा लगेगा। मृदुला ने पंकज को सामने से पहली बार अपने भाई के तिलक के दिन देखा था।
उन्होंने कहा हमने एक-दूसरे को तिलक में बहुत बार देखा। मैं अभी भी पंकज से कहती हूं कि मैंने तुम्हें तब देखा था जब तुम्हारी दाढ़ी आनी शुरू हुई थी और अब मैं तुम्हें तब देख रही हूं जब तुमने चश्मा लगा लिया है। यह एक लंबा सफर रहा है।
प्रेम कहानी के बारे में मृदुला ने आगे कहा हम दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे और फिर कहानी आगे बढ़ाने के लिए और मिलने के लिए वजह ढूंढने लगे। पंकज की पत्नी ने बताया कि उनकी कहानी में खास रोल रूमाल ने निभाया।
दिलचस्प किस्से को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि हमारे बीच बातचीत की शुरुआत ऐसे हुई कि हाथ धोया तो फिर रुमाल चाहिए और वह देने में हाथ टच होना ही था, जो कि आपको एक अलग अहसास देता है। फिर सिलसिला आगे बढ़ा। मैं पंकज को आप कहती थी।
खास बात है कि मां को अंदाजा भी नहीं था और वह मुझे पंकज को भैया बुलाने के लिए कहती थीं। क्योंकि वह मेरी भाभी के भाई थे और मुझसे दो साल बड़े थे। दुविधा थी कि मैं उन्हें भैया नहीं कह सकती थी। मैंने पंकज जी से शुरुआत की और उन्हें कभी भैया या पंकज नहीं कहा।
मृदुला ने खुलासा किया कि वह पंकज को पति बुलाती हैं। पंकज और मृदुला की एक बेटी है, जिसका नाम आशी है।
उन्होंने बताया कि आज भी मैं उन्हें पति कहती हूं। जब वह 6 महीने या एक साल में कलकत्ता (कोलकाता) आते थे तो जानबूझकर मेरे पैर छूते थे। वह बहुत शरारती हैं। 1993 में शुरू हुई एक छोटी सी प्रेम कहानी 2004 में शादी के साथ खूबसूरत मुकाम पर आई। उन्होंने बताया कि दोनों ने कभी एक-दूसरे से अपने प्यार का इजहार नहीं किया मगर मृदुला ने ही शादी करने की गुजारिश की थी वो भी तब जब त्रिपाठी एनएसडी में थे।
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