पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के कौशल विकास केंद्र में आज संपन्न हुए “शीतकालीन मशरूम की खेती” पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 47 किसानों, ग्रामीण महिलाओं और युवाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ एमएस भुल्लर के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया था।
कौशल विकास की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. रूपिंदर कौर ने कहा कि कम जगह, न्यूनतम निवेश और अधिक लाभ के कारण मशरूम की खेती का रुझान बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि मशरूम की खेती को एक सहायक व्यवसाय के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे आर्थिक लाभ, पोषण सुरक्षा के साथ-साथ आजीविका स्थिरता में भी मदद मिलेगी।
कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ प्रेरणा कपिला ने पीएयू के कुशल मशरूम उत्पादकों के सफल उदाहरणों का हवाला दिया, जो इसकी खेती के साथ-साथ प्रसंस्करण से भी अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। उन्होंने कुलदीप कौर के साथ मिलकर मशरूम आधारित प्रसंस्करण तकनीकों का प्रदर्शन किया।
पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. दिलप्रीत सिंह ने भूमिहीन, छोटे और मध्यम किसानों के साथ-साथ बेरोजगार युवाओं की आय बढ़ाने में कृषि से संबंधित व्यवसायों के महत्व को साझा किया।
माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. शम्मी कपूर, डीन, कॉलेज ऑफ बेसिक साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज; और डॉ. शिवानी शर्मा, माइकोलॉजिस्ट ने धान के भूसे, मिल्की, ढींगरी और शिटाके मशरूम की सफल खेती के लिए कृषि संबंधी तरीकों के बारे में बताया। \
डॉ. सुखजीत कौर, डॉ. सोनिका शर्मा, डॉ. रमनदीप सिंह, डॉ. मनिंदर कौर, डॉ. नरिंदर कलसी और डॉ. आईएस संधू ने मशरूम से संबंधित उत्पादों के पोषण संबंधी लाभ, प्रसंस्करण तकनीक, लाभदायक विपणन और स्टार्टअप के लिए उपलब्ध सब्सिडी के बारे में जानकारी दी।