रांची, 3 अप्रैल । झारखंड में कम से कम तीन ब्लॉक ऐसे हैं, जहां के वोटर दो-दो एमपी और दो से तीन विधायकों को चुनने के लिए वोट करते हैं। संसदीय और विधानसभा सीटों का परिसीमन होने के बाद राज्य सरकार द्वारा नए प्रखंड (ब्लॉक) सृजित किए जाने से ऐसी स्थितियां बनी हैं।
कहीं-कहीं तो स्थिति यह है कि 25-30 फीट चौड़ी सड़क की दो बाजुओं में रहने वाले लोग अलग-अलग संसदीय सीट के लिए वोट डालते हैं। पलामू जिला अंतर्गत 1994 में सृजित सतबरवा प्रखंड के वोटर दो एमपी और तीन एमएलए का चुनाव करते हैं। इस प्रखंड में कुल 10 पंचायतें हैं। इनमें से चार पंचायतें पलामू संसदीय क्षेत्र में हैं, तो छह चतरा संसदीय क्षेत्र में।
बारी, पोंची, सतबरवा और दुलसुलमा पंचायत के लोग पलामू का सांसद चुनने के लिए वोट डालते हैं, जबकि बकोरिया, रबदा, घुटुआ, रेवारातु, धावाडीह और बोहिता पंचायत के लोग चतरा संसदीय सीट के लिए मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं।
विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान में तो इस प्रखंड के वोटर तीन हिस्सों में बंट जाते हैं। बारी, पोंची, सतबरवा और दुलसुलमा पंचायतों के लोग डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र के लिए वोट डालते हैं, तो बोहिता, रेवारातू, घुटवा और धावाडीह पंचायतों के लोग पांकी सीट के लिए मतदान करते हैं।
इसी तरह दो पंचायत रबदा और बकोरिया के लोग मनिका सीट के लिए वोट डालते हैं।
कोडरमा जिले में चंदवारा प्रखंड के साथ भी यही स्थिति है। इस प्रखंड के कुछ हिस्से हजारीबाग तो कुछ कोडरमा संसदीय सीट की सीमा में आते हैं। इस प्रखंड की 15 पंचायतों में से 10 हजारीबाग और पांच कोडरमा संसदीय सीट के अंतर्गत हैं।
विधानसभा चुनाव में भी वोटर दो हिस्सों में बंट जाते हैं। कुछ क्षेत्रों के लोग बरकट्ठा तो कुछ बरही विधानसभा सीट के लिए वोट करते हैं। कोडरमा संसदीय सीट के अंतर्गत आनेवाली पंचायतों में कांको, कांटी, बड़की धमराय, पिपराडीह और बिरसोडीह शामिल हैं, जबकि हजारीबाग संसदीय सीट के अंतर्गत चंदवारा पूर्वी और पश्चिम, बेंदी, आरागारो, भोंडो, खांड़ी, थाम, उरवां, पत्थलगड्डा और मदनगुंडी पंचायतें आती हैं।
सबसे दिलचस्प स्थिति चतरा जिला अंतर्गत प्रतापपुर प्रखंड के तीन गांव चक, डुमरवार और पखरी के साथ है। झारखंड-बिहार की सीमा पर स्थित इन तीन गांवों के लोग दो अलग-अलग राज्यों के दो सांसदों और तीन विधायकों के लिए वोट करते हैं। डुमरवार और चक गांव के लोग चतरा लोकसभा के लिए इस बार 20 मई को वोट डालेंगे, जबकि पखरी गांव के लोग औरंगाबाद संसदीय सीट के लिए 19 अप्रैल को मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
महज कुछ कदमों के फासले में संसदीय और विधानसभा सीटें बदल जाने से कई बार प्रत्याशी भी कन्फ्यूज हो जाते हैं और अपनी सीमा के बाहर लोगों से वोट मांगने पहुंच जाते हैं।