नई दिल्ली, 20 अगस्त । यूपीएससी में ‘लेटरल एंट्री’ को लेकर जारी घमासान के बीच केंद्र सरकार ने मंगलवार को विज्ञापन पर रोक लगा दी। केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस संबंध में यूपीएससी के चेयरमैन को लेटर लिखा है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर लेटरल विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है। इसी बीच केंद्र सरकार के मामले पर यू-टर्न लेने पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ‘लेटरल एंट्री’ को लेकर लगातार उठ रहे सवालों का जवाब दिया।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “यूपीएससी में लेटरल एंट्री का जो पारदर्शी निर्णय लिया गया था, उसमें आरक्षण का सिद्धांत लगे, ऐसा निर्णय लिया गया है। आपने देखा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया। नीट, मेडिकल एडमिशन, सैनिक स्कूल और नवोदय विद्यालय में आरक्षण के सिद्धांत को लगाया। बाबा साहेब अंबेडकर के पांच तीर्थ हैं, उनको गौरवमय स्थान दिलाया। देश की राष्ट्रपति द्रौपद्री मुर्मू आदिवासी समाज से आती हैं। ये बड़े गौरव की बात है। पीएम मोदी की प्रतिबद्धता है, वो आज के यूपीएससी में लेटरल एंट्री में आरक्षण का सिद्धांत लगाने के निर्णय में भी साफ दिखाई देती है।”
उन्होंने आगे कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 2014 से पहले कांग्रेस की सरकार में लिए गए निर्णयों में आरक्षण के सिद्धांत का ध्यान नहीं रखा जाता था। किस तरह से विदेश सचिव लेटरल एंट्री के जरिए लिए गए थे। किस तरह से मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया वित्त सचिव बने थे। उस वक्त क्या आरक्षण के सिद्धांत का ध्यान रखा गया था। इसका जवाब भी कांग्रेस को देना चाहिए।
इससे पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हमेशा से सामाजिक न्याय में दृढ़ विश्वास रहा है। उनके कार्यक्रमों ने हमारे समाज के सबसे कमज़ोर वर्गों के कल्याण को बढ़ावा दिया है। आरक्षण के सिद्धांतों के साथ लेटरल एंट्री को जोड़ने का निर्णय प्रधानमंत्री मोदी की सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर केंद्र सरकार के रोक लगाए जाने पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार ने विपक्ष और अपने सहयोगी सदस्यों के दबाव में आकर यूपीएसीस में लेटरल एंट्री को लेकर विज्ञापन निकाला था। उसको वापस लेने के निर्देश दिए हैं। हम इसका स्वागत भी करते हैं और पीएम मोदी को एक सलाह भी देते हैं, अब वक्त आ गया है देश के ‘मन की बात’ सुनना शुरू कीजिए। देश की जनता अपने ‘मन की बात’ विपक्ष के जरिए बोलती है, देश अपने ‘मन की बात’ आपके एलायंस के माध्यम से बोलता है। हम सबकी बात सुनिए इसी में आपका भला है, आपकी आदत पड़ जानी चाहिए। आप बादशाहत में आकर खुद निर्णय नहीं ले सकते हैं। इसलिए अपने सहयोगी गठबंधन की बात सुनिए। ताकि वो निर्णय बार-बार वापस नहीं लेना पड़े।
बता दें कि केंद्रीय कार्मिक मंत्री ने पत्र में संघ लोक सेवा आयोग से लेटरल एंट्री के आधार पर निकाली गई भर्तियों को वापस लेने को कहा। लेटरल एंट्री के आधार पर निकाली गई भर्तियों में आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया है, जिसे ध्यान में रखते हुए इसे वापस लिया जाए। पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी उच्च पदों पर लेटरल एंट्री के लिए संविधान में निहित सामाजिक न्याय और आरक्षण पर जोर देना चाहते हैं। इसलिए इस विज्ञापन को वापस लिया जाए।
केंद्र ने पत्र में सामाजिक न्याय के प्रति संवैधानिक जनादेश को बनाए रखने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। केंद्र ने कहा कि हाशिए पर मौजूद योग्य उम्मीदवारों को सरकारी सेवाओं में उनका उचित प्रतिनिधित्व मिले, इसकी जरूरत है।