चरखी दादरी, 19 जून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दौरे के दौरान मंगलवार को ‘किसान सम्मान निधि’ के तहत 20 हजार करोड़ की राशि जारी की। इसे लेकर किसान भाइयों में खासा उत्साह है। कई किसानों ने प्रधानमंत्री के इस कदम की तारीफ की है, तो कुछ ने इस योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि को बढ़ाए जाने की इच्छा जताई है।
चरखी दादरी के कई किसानों ने प्रधानमंत्री के इस कदम को सराहनीय बताया और किसान सम्मान निधि की तारीफ की। एक किसान ने कहा, “इस योजना से हम जैसे किसानों को बहुत फायदा मिला है। यह किसानों की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में अहम किरदार अदा करता है। पहले हमें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन जब से केंद्र सरकार ने इस योजना को शुरू किया है, तब से हमारी कई तरह की जरूरतें आसानी से पूरी हो जाती हैं। अब हमें आर्थिक दुश्वारियों का सामना नहीं करना पड़ता। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि केंद्र सरकार ने किसानों के हितों को विशेष तवज्जो दी है।“
एक अन्य किसान जयप्रकाश ने बताया, “किसान सम्मान निधि से हमें बहुत फायदा मिलता है। हम जैसे किसानों के लिए यह बहुत फायदेमंद योजना साबित हुई है। इसके अलावा, हमारी अन्य जरूरतों का भी प्रधानमंत्री विशेष ध्यान रखते हैं। बतौर किसान हम सभी सरकार की कार्यशैली से खुश हैं।“
एक अन्य किसान हरमिंदर सिंह ने किसान सम्मान निधि योजना की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, “आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त जारी की है, इसकी हम सभी किसान भाई तारीफ करते हैं। यह योजना हम जैसे किसान भाइयों के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही है। हम अपनी हर प्रकार की जरूरतों को इस योजना के माध्यम से आसानी पूरा कर लेते हैं। पहले हमें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, मगर इस योजना ने हमें हर प्रकार की दिक्कतों से छुटकारा दिलाया है, इसके लिए हम प्रधानमंत्री का आभार प्रकट करते हैं।“
बता दें कि 1 फरवरी 2019 को किसान सम्मान निधि योजना शुरू की गई थी। इसके अंतर्गत साल भर में दो-दो हजार रुपये की तीन किस्तों में कुल छह हजार रुपये किसानों के खाते में भेजे जाते हैं। खास बात यह है कि ये राशि किसानों को सीधे उनके खाते में ट्रांसफर किए जाते हैं। बीच में कोई मिडिल मैन नहीं होता है। अधिकतर किसान भाइयों का कहना है कि हमारे खाते में सीधा पैसा आ रहा है। यह भी बड़ी बात है, नहीं तो पहले सरकार द्वारा शुरू की गई कई जनकल्याणकारी योजनाएं मिडिल मैन के भेंट चढ़ जाया करती थीं।