N1Live National बिना बुलाए कहीं जाने की पीएम मोदी की आदत, त्योहारों पर विवाद पैदा करना भाजपा की मानसिकता : पवन खेड़ा
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बिना बुलाए कहीं जाने की पीएम मोदी की आदत, त्योहारों पर विवाद पैदा करना भाजपा की मानसिकता : पवन खेड़ा

PM Modi's habit of going somewhere without being invited, BJP's mentality to create controversies on festivals: Pawan Kheda

नई दिल्ली, 13 सितंबर । पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार को भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के घर पर गणपति पूजा समारोह में शामिल हुए। इसे लेकर सियासत शुरू हो गई है।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि, प्रधानमंत्री मोदी की ब‍िन बुलाए जाने की आदत है। कई बार पाकिस्तान भी बिन बुलाए चले गए। ऐसे में हमें नहीं मालूम कि उन्हें बुलाया गया था या नहीं बुलाया गया था, किस-किस को बुलाया गया था, जब कोई जानकारी हमारे पास नहीं है, तो उस पर हम क्या टिप्पणी करें?

कर्नाटक के मांड्या में गणपति विसर्जन के दौरान पथराव को लेकर पवन खेड़ा ने कहा कि सत्तारूढ़ दल की मानस‍िकता देश में विवाद पैदा करने की, समाजों में विवाद पैदा करने की, पूरे देश में विवाद पैदा करने की है। हमने बचपन से कभी नहीं देखा कि त्योहारों में इस तरह से आपस में रंजिश हो जाए या विवाद पैदा हो जाए, लेकिन पिछले दस साल में आप देखिएगा हनुमान जयंती हो, रामनवमी हो, मुहर्रम हो, कोई अन्‍य त्यौहार हो, कोई ना कोई विवाद भाजपा जरूर पैदा करना चाहती है।

विनेश फोगाट की ओर से पीटी उषा को लेकर दिये गए बयान पर उन्होंने कहा कि, पीटी उषा को दिल्ली दरबार से जो आदेश हुआ होगा, उन्होंने वहीं किया होगा। अब आदेश देने वालों के बारे में बात करना चाहिए कि क्यों ऐसा आदेश दिया गया? सिर्फ फोटोअप के लिए मिलना गलत है। आपने मैसेज दिया कि आप उनके साथ खड़े हैंं, लेकिन आप वास्तव में उनके साथ खड़े नहीं हैं। आपने देश के खिलाफ काम किया।

उन्होंने कहा कि क्या देश का सत्तारूढ़ दल देश के नेता प्रत‍िपक्ष को जान से मरवाने की धमकी सार्वजनिक तौर पर ऐसे दे सकती है? पूरा विश्व देख रहा है। अब भारत की हंसी उड़ रही है। लोग हैरानी से देख रहे हैं कि भारत में ऐसा कैसे हो गया कि सत्तारूढ़ दल विपक्ष के नेता को जान से मारने की धमकी दे रही है।

भाजपा नेता अमित मालवीय पर हमला बोलते हुए कहा कि, इस देश में अमित मालवीय की बातों को कौन गंभीरता से ले रहा है? उनकी अपनी पार्टी ही नहीं लेती। केंद्र सरकार को सोचना चाहिए कि केवल लफ्फाजी करने से योजनाओं को धरातल पर नहीं उतारा जा सकता।

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