May 19, 2024
National

बंगाल के बारासात में पीएम मोदी की रैली, संदेशखाली की महिलाएं सुनाएंगी अपनी व्यथा

कोलकाता, 6 मार्च । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को उत्तर 24 परगना जिले के बारासात में भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई द्वारा आयोजित ‘नारी बंधन’ (महिला सशक्तिकरण) रैली को संबोधित करेंगे। संदेशखाली में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के एक वर्ग द्वारा यौन उत्पीड़न और हिंसा के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने वाली महिलाएँ भी कार्यक्रम में शामिल होंगी।

संदेशखाली (जो मूल रूप से द्वीपों का एक समूह है) में बुधवार सुबह से ही महिलाएँ उस पार धमाखाली जाने के लिए जेट्टी पर इकट्ठा होने लगीं, जहां से वे सड़क मार्ग से बारासात पहुंचेंगी।

महिलाओं ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री के साथ उनकी संक्षिप्त बातचीत होगी ताकि वे सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के हाथों उत्पीड़न की अपनी कहानियां बता सकें – जैसे कृषि भूमि को जबरन हड़पना, खारा पानी डालकर खेतों को मछली पालन के फार्म में बदलना और उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न।

संदेशखाली में विरोध-प्रदर्शन के प्रमुख चेहरों में से एक अपर्णा दास ने कहा, “हम प्रधानमंत्री की रैली में शामिल होने जा रही हैं। हम अपनी पुरानी शांतिपूर्ण संदेशखाली वापस चाहती हैं। हम स्वतंत्र रूप से और बिना किसी डर के मतदान का अपना अधिकार वापस चाहती हैं। हम अपने बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकार वापस चाहती हैं। केवल शेख शाहजहाँ की गिरफ्तारी पर्याप्त नहीं है। उसके जैसे और भी लोग घूम रहे हैं और आम लोगों को परेशान कर रहे हैं। अगर हमें मौका मिला तो हम प्रधानमंत्री को पिछले कई साल के दौरान हुए भयावह अनुभवों के बारे में बताएँगी।”

जेट्टी पर दूसरी ओर जाने का इंतजार कर रही एक अन्य प्रदर्शनकारी महिला ने कहा कि संदेशखाली की महिलाओं को मजबूर कर दिया गया है। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमने सब कुछ खो दिया है, यहां तक कि अपनी बुनियादी गरिमा भी खो दी है। हम आशा करते हैं कि प्रधानमंत्री को इस बात की जानकारी है कि हम इतने वर्षों से क्या झेल रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वह हमें इस मामले में अपने दृष्टिकोण से अवगत कराएंगे।”

स्थानीय भाजपा नेता गंगाधर कोयल ने कहा कि गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस नेताओं और उनके सहयोगियों ने 2016 के बाद से पूरे क्षेत्र में आतंक का साम्राज्य कायम कर लिया है। उन्होंने कहा, “लगातार पंचायत चुनावों में धांधली और चुनावी कदाचार के मामले सामने आए हैं, जहां लोग स्वतंत्र रूप से अपना वोट नहीं डाल सके।”

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