प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 नवंबर को शाम लगभग 5 बजे भारत के सर्वोच्च न्यायालय में ‘कानूनी सहायता वितरण तंत्र को सशक्त बनाने’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) की ओर से तैयार सामुदायिक मध्यस्थता प्रशिक्षण मॉड्यूल का शुभारंभ करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री सभा को भी संबोधित करेंगे।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में कानूनी सेवा ढांचे के प्रमुख पहलुओं जैसे कानूनी सहायता बचाव परामर्श प्रणाली, पैनल वकील, अर्ध-कानूनी स्वयंसेवक, स्थायी लोक अदालतें और कानूनी सेवा संस्थानों के वित्तीय प्रबंधन पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण (एलएसए) कानून, 1987 के तहत समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए किया गया था, जिसमें एलएसए कानून, 1987 की धारा 12 के तहत आने वाले लाभार्थी भी शामिल हैं, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण किसी भी नागरिक को न्याय हासिल करने के अवसर से वंचित न किया जाए और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए लोक अदालतों का आयोजन किया जाए।
इसके अलावा, नालसा ने निवारक और रणनीतिक कानूनी सेवा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न योजनाएं भी तैयार कीं, जिन्हें अलग-अलग स्तरों यानी राज्य, जिला और तालुका स्तर पर विधिक सेवा प्राधिकरणों की ओर से कार्यान्वित किया जाता है। पिछले तीन साल के दौरान विधिक सेवा प्राधिकरणों की ओर से किए गए अलग-अलग कार्यक्रमों के तहत कानूनी सहायता और सलाह के माध्यम से साल 2024-25 में 16,57,527 लोगों को लाभ मिला। 2022 से 2025 तक लाभान्वित व्यक्तियों की संख्या 44,22,460 रही। केंद्रीय विधि और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने खुद संसद में यह जानकारी दी थी।
विधिक सेवा प्राधिकरण देश भर में बच्चों, मजदूरों, आपदा पीड़ितों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, दिव्यांगजनों आदि से संबंधित विभिन्न कानूनों और योजनाओं के संबंध में कानूनी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं। विधिक सेवा प्राधिकरण विभिन्न कानूनों पर सरल भाषा में पुस्तिकाएं और पैम्फलेट भी तैयार करते हैं, जिन्हें लोगों में वितरित किया जाता है।


Leave feedback about this