N1Live World राजनीतिक विश्लेषकों का मानना, ‘ट्रंप-पुतिन बैठक के बाद भारत पर प्रतिबंधों का दबाव कम हो सकता है’
World

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना, ‘ट्रंप-पुतिन बैठक के बाद भारत पर प्रतिबंधों का दबाव कम हो सकता है’

Political analysts believe, 'After Trump-Putin meeting, the pressure of sanctions on India may reduce'

 

वाशिंगटन डीसी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शुक्रवार को अलास्का में लगभग तीन घंटे की बैठक हुई। अमेरिका में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बैठक के बाद रूसी तेल खरीदने की वजह से भारत पर लगे प्रतिबंधों का दबाव कम हो सकता है।

 

उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्लॉस लारेस ने कहा कि आगे चलकर प्रतिबंधों का प्रभाव कम हो सकता है।

उन्होंने कहा, “पुतिन को उम्मीद थी कि या तो प्रतिबंध लागू नहीं होंगे या आधिकारिक तौर पर हटा लिए जाएंगे। अगर ये हटा लिए जाते हैं या इन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है, तो फिर ऐसी संभावना नहीं है कि ट्रंप भारत, चीन या किसी अन्य देश पर सेकेंडरी सैंक्शन (द्वितीयक प्रतिबंध) लगाएंगे।”

प्रोफेसर लारेस ने कहा कि भारत फिलहाल इस बैठक के नतीजों से संतुष्ट हो सकता है।

उन्होंने कहा कि अगर मैं प्रधानमंत्री मोदी होता, तो मैं कहता कि सेकेंडरी सैंक्शन कम से कम थोड़े समय के लिए हटा लिए जाएंगे।

प्रोफेसर लारेस ने कहा, “आप दुनिया को कैसे समझा सकते हैं कि आप रूस से तेल खरीदने वालों पर सेकेंडरी सैंक्श लगाते हैं, जबकि उस तेल के स्रोत पर अब कोई प्रतिबंध नहीं है, या आप इन प्रतिबंधों की अनदेखी करते हैं? तो, मुझे लगता है कि ये दोनों बातें एक-दूसरे से जुड़ी हैं।”

उन्होंने कहा कि अमेरिका-रूस आर्थिक संबंधों के फिर से शुरू होने की संभावना यूरोप की प्रतिबंध व्यवस्था को कमजोर कर सकती है। यूरोपीय संघ की ओर से अब तक 18 प्रतिबंध पैकेज जारी किए जा चुके हैं। अगर अमेरिका रूस के साथ सामान्य आर्थिक और व्यापारिक संबंध खोलने का फैसला करता है, तो इससे यूरोपीय संघ का कठोर रुख कमजोर होगा।

टफ्ट्स विश्वविद्यालय के फ्लेचर स्कूल में रूस और यूरेशिया कार्यक्रम के एसोसिएट निदेशक, एरिक बुराकोवस्की का मानना था कि ट्रंप अभी भी रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने का विकल्प बनाए रख सकते हैं।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “भारत पर लगाया गया 25 फीसदी का भारी टैरिफ एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और अमेरिका-भारत संबंधों के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। इसलिए, हम भारत के प्रति ट्रंप प्रशासन के रुख में नरमी देख सकते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह पूरी तरह से बंद हो जाएगा और यह कुछ हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि बातचीत कैसे आगे बढ़ती है।”

बुराकोवस्की ने पुतिन-ट्रंप बेनतीजा रही बैठक को ऐतिहासिक बताया।

उन्होंने कहा कि पुतिन ने 10 सालों में पहली बार अमेरिकी धरती पर कदम रखा था। शायद यह निरंतर अविश्वास के बावजूद, अमेरिका-रूस संबंधों में एक तरह के बदलाव का संकेत है।

Exit mobile version