N1Live Haryana प्रदूषण बोर्ड ने रेवाड़ी डीसी को पांच सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से 3 करोड़ रुपये जुर्माना वसूलने को कहा
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प्रदूषण बोर्ड ने रेवाड़ी डीसी को पांच सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से 3 करोड़ रुपये जुर्माना वसूलने को कहा

Pollution Board asks Rewari DC to recover fine of Rs 3 crore from five sewage treatment plants

रेवाड़ी, 1 अगस्त हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने रेवाड़ी के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) से आग्रह किया है कि वे हरियाणा भूमि राजस्व अधिनियम के कानून के अनुसार पांच सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से पर्यावरण मुआवजे की वसूली सुनिश्चित करें। एसटीपी का संचालन सरकारी विभागों द्वारा किया जा रहा है।

यहां धारूहेड़ा स्थित एचएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी ने हाल ही में खरकड़ा गांव के प्रकाश यादव की शिकायत के संबंध में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को एक रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के अनुसार, नियमों का पालन न करने के कारण पिछले साल एसटीपी पर कुल 3 करोड़ रुपये से अधिक का पर्यावरण मुआवजा लगाया गया था।

खाली जमीन पर छोड़ा जा रहा सीवेज हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, धारूहेड़ा के क्षेत्रीय अधिकारी ने हाल ही में खरकड़ा गांव के प्रकाश यादव की शिकायत पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण को एक रिपोर्ट सौंपी।

अपनी शिकायत में यादव ने कहा कि एसटीपी से निकलने वाला गंदा पानी दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर खरखरा और खलियावास गांवों के पास सूखी हुई साहबी नदी की सैकड़ों एकड़ खाली जमीन पर छोड़ा जा रहा है।

शिकायतकर्ता ने कहा कि सीवेज से न केवल भूजल दूषित हुआ है, बल्कि पेड़ों को भी नुकसान पहुंचा है। रिपोर्ट के अनुसार, कालूवास रोड स्थित 6.5 एमएलडी एसटीपी पर 56.20 लाख रुपये, नसियाजी रोड स्थित 16 एमएलडी एसटीपी पर 64.60 लाख रुपये, खरखड़ा गांव स्थित एसटीपी पर 65.10 लाख रुपये, नसियाजी रोड स्थित 8 एमएलडी एसटीपी पर 55.70 लाख रुपये तथा जिले के खेड़ा मुरार रोड स्थित 3 एमएलडी एसटीपी पर 63.70 लाख रुपये का पर्यावरणीय हर्जाना लगाया गया है।

यह हर्जाना एसटीपी से लिए गए नमूनों के विभिन्न पर्यावरण मापदंडों की स्वीकार्य सीमा से अधिक पाए जाने के बाद लगाया गया है। इस संबंध में दायर शिकायत की सुनवाई करते हुए एनजीटी के निर्देशों के बाद ये नमूने लिए गए थे। यादव ने अपनी शिकायत में कहा कि एसटीपी से निकलने वाला गंदा पानी दिल्ली-जयपुर हाईवे पर खरखड़ा व खलियावास गांवों के पास सूखी हुई साहबी नदी की सैकड़ों एकड़ खाली जमीन में छोड़ा जा रहा है। शिकायतकर्ता ने कहा कि सीवेज ने न केवल भूजल को दूषित किया बल्कि पेड़ों को भी नुकसान पहुंचाया।

यादव ने इलाके में जमा पानी से निकलने वाली दुर्गंध को उजागर करते हुए कहा कि यह स्पष्ट रूप से अनुपचारित पानी है। उन्होंने कहा, “मैंने अधिकारियों से क्षेत्र में एसटीपी से अनुपचारित पानी को छोड़ने से रोकने और नियमित निरीक्षण करने के अलावा इसे छोड़ने से पहले सीवेज का उचित उपचार सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।” एचएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी हरीश शर्मा धारूहेड़ा टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।

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