पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष लिखित रूप से दलील दी है कि उसने सरकार के पूर्व निर्देशानुसार 250 करोड़ रुपये राज्य के खजाने में हस्तांतरित नहीं किए हैं।
हालांकि, वन एवं वन्यजीव संरक्षण विभाग के पास पड़े 84 करोड़ रुपये की स्थिति अभी तक ज्ञात नहीं है। नागरिक समाज समूह पब्लिक एक्शन कमेटी (पीएसी) द्वारा दायर याचिका पर कार्रवाई करते हुए एनजीटी ने पीपीसीबी और वन एवं वन्यजीव संरक्षण विभाग के पास पड़े धन के उपयोग पर रोक लगा दी थी।
पीपीसीबी ने कहा, “पंजाब सरकार ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण विभाग के माध्यम से शुरुआत में उसे राज्य के खजाने में 250 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया था। बोर्ड को पंजाब के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक की कार्यवाही पत्र संख्या 6756 दिनांक 7 अगस्त, 2025 के माध्यम से प्राप्त हुई थी।”
जवाब में आगे लिखा है कि बोर्ड द्वारा तथ्य प्रस्तुत किए जाने के बाद, सरकार ने मामले पर पुनर्विचार किया। विस्तृत विचार-विमर्श के बाद, सरकार ने निर्णय लिया कि बोर्ड के पास पड़ी 250 करोड़ रुपये की राशि राज्य के खजाने में जमा नहीं की जाएगी। विभाग के वकील ने बाढ़ के कारण हुई बाधा का हवाला देते हुए अल्पकालिक स्थगन की भी मांग की। उन्होंने पीठ को आश्वासन दिया कि 18 अगस्त को पारित अंतरिम आदेश का विधिवत पालन किया जाएगा।
एनजीटी के ये निर्देश द ट्रिब्यून की 8 अगस्त की उस रिपोर्ट के बाद आए हैं जिसमें बताया गया था कि राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों को 1,441.49 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है, जिसमें पीपीसीबी से 250 करोड़ रुपये और वन विभाग से 84 करोड़ रुपये शामिल हैं। इस खबर पर कार्रवाई करते हुए, पीएसी ने ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर इस तरह के धन हस्तांतरण पर रोक लगाने की मांग की।