पावरकॉम संगठन के इंजीनियर, कर्मचारी और पेंशनभोगी आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा प्रमुख शहरों में स्थित सैकड़ों एकड़ बेहद कीमती संपत्तियों को बेचने के प्रस्ताव के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। इनमें से ज़्यादातर ज़मीनें दशकों पहले ग्राम पंचायतों और निजी व्यक्तियों द्वारा तत्कालीन पंजाब राज्य बिजली बोर्ड (पीएसईबी) को कार्यालय और ग्रिड स्थापित करने के लिए दान की गई थीं।
इस मुद्दे को लेकर एक आपातकालीन बैठक रतन सिंह मजारी और गुरप्रीत सिंह गंडीविंड की संयुक्त अध्यक्षता में हुई, जिसमें पीएसईबी कर्मचारी संयुक्त मंच, बिजली मुलाजिम एकता मंच पंजाब, जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन, ग्रिड सब स्टेशन कर्मचारी यूनियन (रजिस्टर्ड 24), पावरकॉम एंड ट्रांसको पेंशनर्स यूनियन पंजाब (एआईटीयूसी से संबद्ध), पेंशनर्स वेलफेयर फेडरेशन फलवान और पीएसईबी इंजीनियर्स एसोसिएशन सहित विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधित्व किया गया।
इस बैठक में इंजीनियरों, कर्मचारियों और पेंशनरों ने सर्वसम्मति से पावरकॉम की संपत्तियों को बेचने के सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ एकजुट संघर्ष शुरू करने का फैसला किया, जिसे उन्होंने संगठन के अस्तित्व के लिए सीधा खतरा बताया।
संयुक्त मोर्चा के नेता हरपाल सिंह और गुरवेल सिंह बल्लपुरिया द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 16 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक सभी पावरकॉम सर्किलों में विरोध प्रदर्शन किए जाएँगे और उसके बाद झंडा मार्च निकाला जाएगा। 2 नवंबर को लुधियाना में बिजली मंत्री के खिलाफ राज्य स्तरीय विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इस विरोध प्रदर्शन की तैयारियाँ 14 अक्टूबर से शुरू होंगी और बड़े पैमाने पर लामबंदी सुनिश्चित करने के लिए पूरे पंजाब में सर्किल स्तरीय संयुक्त बैठकें आयोजित की जाएँगी।
इस अवसर पर उपस्थित नेताओं ने चेतावनी दी कि आज की संयुक्त बैठकें पावरकॉम की संपत्तियों को बेचने के सरकार के कर्मचारी-विरोधी और संस्था-विरोधी फैसले के खिलाफ बड़े आंदोलन की नींव का काम करेंगी।
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