November 29, 2024
National

प्रणब मुखर्जी की बेटी ने पिता की जीवनी में मोदी को सलाह से लेकर राहुल पर विचार तक का किया है खुलासा

नई दिल्ली, 27 नवंबर  । भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हमेशा जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के योगदान को स्वीकार करने की सलाह दी थी। यह बात प्रणब की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब ‘प्रणब, माई फादर : ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में लिखी है, जो रूपा प्रकाशन से प्रकाशित होने जा रही है।

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के एक साधारण गांव से शुरू हुई प्रणब मुखर्जी की जीवन-यात्रा से लेकर उतार-चढ़ाव भरे करियर तक के जीवन की अन्य बातें उनकी बेटी, शास्त्रीय नृत्यांगना शर्मिष्ठा मुखर्जी की लिखी जीवनी के मुख्य आकर्षण हैं।

शर्मिष्ठा मुखर्जी अपने पिता की निजी डायरियों के साथ-साथ उनके साथ हुई बातचीत की यादों से जो अन्य जानकारियां हासिल करने में सफल रही हैं, उनमें सोनिया गांधी की बराबरी हासिल करने के लिए प्रणब के ‘नंबर एक व्यक्ति’ के रूप में उभरने में असमर्थता के कारण प्रधानमंत्री बनने की उनकी अधूरी महत्वाकांक्षा भी शामिल है। भरोसा, नेहरू-गांधी परिवार के आसपास व्यक्तित्व पंथ, राहुल गांधी में करिश्मा और राजनीतिक समझ की उस दौर में रही कमी और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में उनके नामांकन पर ममता बनर्जी के विरोध तक का जिक्र है।

इस जीवनी को जो चीज खास बनाती है, वह है मुखर्जी की डायरियों से बड़े पैमाने ली गईं बातें।

यह किताब प्रणब मुखर्जी और शर्मिष्ठा के बीच पिता-बेटी के रिश्ते का भी आईना है।

किताब को लेकर जारी मीडिया विज्ञप्ति में कहा गया है : “अपनी बेटी के लिए प्रणब मुखर्जी बाबा थे, काम में लगे रहने वाले; इतिहास के शिक्षक जो रात के भोजन के समय उन्‍हें घटनाओं का वर्णन सुनाते थे। वह समर्पित धार्मिक व्यक्ति थे, मगर उन्होंने कभी भी अपनी आस्‍था अपनी बेटी पर नहीं थोपी।”

“पश्चिम बंगाल के दूरदराज के एक गांव में टिमटिमाते दीये की रोशनी में पढ़ाई के दौर से लेकर देश की राजधानी के जगमगाते झूमरों के बीच अंतिम समय गुजारने तक की उनकी व्यापक, बहु-पीढ़ीगत कथा इस बहुप्रतीक्षित जीवनी से उजागर होने वाली है। प्रणब मुखर्जी ने देश के वित्त, रक्षा, विदेश और वाणिज्य सहित प्रमुख मंत्रालयों का कार्यभार संभाला और 23 वर्षों तक कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य रहे। मगर कभी प्रधानमंत्री नहीं बन सके, हां राष्‍ट्रपति जरूर बने।

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