आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान के संरक्षण के महत्व पर बल देते हुए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि बीमारियों के इलाज के लिए पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को और अधिक व्यापक रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
शनिवार शाम को नई दिल्ली में आयोजित भारतीय धरोहर के 8वें वार्षिक ‘सम्मान समारोह’ में बोलते हुए उन्होंने ‘प्रकृति परीक्षण’ में और अधिक शोध का आग्रह किया। यह एक निदान पद्धति है जो मानव शरीर की संरचना को समझने पर केंद्रित है।
उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल सांस्कृतिक विरासत वाला देश है, जिसे सुरक्षित रखना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हमारी विरासत देश को ‘माँ’ का दर्जा देती है और कहा कि मैक्स मूलर सहित विदेशी विद्वानों ने वेदों का अध्ययन किया और उनके अपार महत्व को पहचाना। उन्होंने कहा, “हमें न केवल अपनी विरासत पर गर्व करना चाहिए, बल्कि युवाओं और बच्चों में इसके बारे में जागरूकता भी बढ़ानी चाहिए।” उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान के वैश्विक केंद्र के रूप में भारत का एक अनूठा स्थान है।
राज्यपाल ने प्राचीन परम्पराओं के संरक्षण और समाज की सेवा में भारतीय धरोहर के समर्पित प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने संगठन की वार्षिक पत्रिका के सितंबर अंक का विमोचन किया और विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया। रंजीत कौर को उनके दिवंगत पति के योगदान के लिए सम्मानित किया गया, जबकि प्रसिद्ध लेखक और निर्देशक चंद्र प्रकाश द्विवेदी और ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण में लगे सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण गोयल को भी सम्मानित किया गया।
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