नई दिल्ली, 1 नवंबर । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सेना के एक मेजर की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। यह मेजर स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड यूनिट में था। उसकी तैनाती उत्तर भारत में थी। बताया जा रहा है कि बर्खास्त किया गया मेजर सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव के संपर्क में था।
दरअसल, सेना की जांच में पाया गया था कि यह मेजर ऐसी गलतियों का दोषी है, जिसकी वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हुआ।
जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति ने अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए आदेश जारी किया कि सेना में इस मेजर की नौकरी तुरंत समाप्त कर दी जाए। यह आदेश इस महीने स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड यूनिट में लागू किया गया है।
बताया जा रहा है कि बर्खास्त किए गए मेजर की जांच बीते वर्ष मार्च 2022 से ही चालू थी। राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौते के आरोप झेल रहे मेजर की जांच के लिए एक बोर्ड बनाया गया था। स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड ने अधिकारियों के बोर्ड को मेजर की संभावित संलिप्तता के बारे में प्रारंभिक जांच करने के लिए अधिकृत किया था। इसके साथ ही किसी भी संदिग्ध लेनदेन और जासूसी को लेकर आरोपी मेजर जांच की जा रही थी।
मीडिया की खबरों के मुताबिक, जांच में पाया गया कि मेजर के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में सीक्रेट दस्तावेजों की एक कॉपी थी। यह पूरी तरह सेना के नियमों के खिलाफ है।
जानकारी के मुताबिक, बर्खास्त किया गया मेजर सोशल मीडिया चैट के जरिए एक पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव के भी संपर्क में था। सूत्रों के मुताबिक, इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सेना के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मेजर की दोस्ती की भी जांच की गई। बताया जा रहा है कि इस जांच के दायरे में ‘पटियाला पेग’ नाम के एक व्हाट्सएप ग्रुप के कुछ सदस्य भी थे।
जहां एक और मेजर को दोषी पाए जाने पर बर्खास्त कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर सेना ने एक ब्रिगेडियर और एक लेफ्टिनेंट कर्नल को सोशल मीडिया नीतियों के उल्लंघन और एक व्हाट्सएप ग्रुप का सदस्य होने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
बताया जा रहा है कि इस व्हाट्सएप ग्रुप पर आपत्तिजनक सामग्री शेयर की जा रही थी। सबसे पहले बीते वर्ष जुलाई 2022 में रिपोर्ट सामने आई थी कि सेना अपने चार अधिकारियों की व्हाट्सएप ग्रुप ‘पटियाला पेग’ का सदस्य होने के कारण जांच कर रही है। जांच लंबित रहने तक तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। संदेह था कि व्हाट्सएप ग्रुप ‘पटियाला पेग’ जिसके ये अधिकारी सदस्य थे, उसमें पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑपरेटिव के सदस्य भी थे। यह पता लगाने के लिए एक जांच की गई थी कि क्या कोई गुप्त सैन्य जानकारी किसी के द्वारा साझा की गई थी।
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