दिली, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपनी तीन देशों की यात्रा के अंतिम चरण में शनिवार को दक्षिण-पूर्व एशियाई देश तिमोर-लेस्ते के राजधानी दिली पहुंचीं। यह भारत के किसी भी राष्ट्रपति की दक्षिण-पूर्व एशिया के इस देश की पहली यात्रा है।
हवाई अड्डे पर पहुंचने पर तिमोर-लेस्ते के राष्ट्रपति जोस रामोस-होर्टा के साथ राजधानी दिली के स्कूली बच्चों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
राष्ट्रपति मुर्मू के इन देशों की यात्रा के बारे में जानकारी राष्ट्रपति के कार्यालय ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से दी।
इस पोस्ट में बताया गया है, “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपनी तीन देशों की यात्रा के अंतिम चरण में दिली, तिमोर-लेस्ते पहुंचीं। हवाई अड्डे पर तिमोर-लेस्ते के राष्ट्रपति जोस रामोस-होर्ता ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।”
वहां पहुंचकर राष्ट्रपति मुर्मू अपने तिमोरी समकक्ष, जोस रामोस-होर्टा के साथ एक द्विपक्षीय बैठक करेंगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुर्मू का प्रधानमंत्री ज़ानाना गुसमाओ के साथ मुलाकात का कार्यक्रम भी है। इन कार्यक्रमों में वह दोनों देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की कोशिश करेंगी।
इसके अलावा राष्ट्रपति तिमोर-लेस्ते में प्रवासी भारतीयों के साथ एक स्वागत समारोह में भी शामिल होंगी।
इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मू अपनी तीन देशों की यात्रा के दौरान फिजी और न्यूजीलैंड का दौरा कर चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने भारत और इन देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की।
बता दें, कि फ़िजी के राष्ट्रपति रातू विलियम मैवलीली काटोनिवेरे ने भारतीय राष्ट्रपति को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘कम्पेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी’ से सम्मानित किया है।
उन्होंने जलवायु न्याय के लिए “ग्लोबल साउथ एशिया की शक्तिशाली आवाज” के रूप में भारत की प्रतिबद्धता दोहराई और विकासशील देशों के लिए जलवायु, वित्त और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों पर जोर देने का वादा किया।
इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस सप्ताह की शुरुआत में बताया था कि राष्ट्रपति मुर्मू की फिजी, न्यूजीलैंड और तिमोर-लेस्ते की राजकीय यात्रा इस बात को रेखांकित करती है कि भारत इन देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को कितना महत्व देता है। यह ‘एक्ट ईस्ट’ नीति पर भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
ज्ञात हो कि 2014 के 9वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की ‘लुक ईस्ट’ नीति को बदल कर ‘एक्ट ईस्ट’ नीति कर दिया था।
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