पालमपुर, 17 अगस्त पिछले कुछ दिनों में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें नई ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, क्योंकि संबंधित अधिकारी पालमपुर शहर और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण रखने में विफल रहे हैं।
आवश्यक वस्तु अधिनियम को अक्षरशः लागू करने में राज्य सरकार के कथित उदासीन रवैये ने आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी और जमाखोरी को बढ़ावा दिया है। हालांकि हर दुकानदार के लिए मूल्य सूची प्रदर्शित करना अनिवार्य है, लेकिन दिशा-निर्देशों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए शायद ही कोई जांच की जाती है।
पहले एसडीएम और डीएसपी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के निरीक्षण कर्मचारियों के साथ मिलकर बाजारों में अवैध गतिविधियों के लिए व्यापारिक परिसरों की जांच करते थे, लेकिन हाल ही में यह काम बंद कर दिया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विभाग में निरीक्षण कर्मचारियों की भारी कमी है। उन्होंने बताया कि मौजूदा कर्मचारियों की संख्या के साथ विभाग केवल 10 प्रतिशत दुकानों पर ही नजर रख सकता है।
राज्य सरकार को स्थिति का पता था, लेकिन पिछले कुछ महीनों में बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री और अन्य अधिकारियों द्वारा इस संबंध में बयान जारी किए जाने के बावजूद आम आदमी की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। ट्रिब्यून की टीम ने स्थानीय बाजारों का दौरा किया और पाया कि थोक और खुदरा कीमतों में बहुत अंतर है।
पिछले एक पखवाड़े में दालों के दामों में 20 से 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। दाल मलका 100 रुपये किलो, मसूर 95 रुपये और दाल चना 110 रुपये किलो बिक रही है। दाल मूंग की सभी किस्में 130 से 135 रुपये किलो के बीच बिक रही हैं। अरहर 200 रुपये किलो और राजमा 190-200 रुपये किलो बिक रही है। ब्रांडेड सरसों तेल की कीमत 165 रुपये प्रति बोतल हो गई है। साधारण चावल की कीमत जहां 5 फीसदी बढ़कर 50 रुपये प्रति किलो हो गई है, वहीं गेहूं का आटा 35 रुपये प्रति किलो हो गया है। इसी तरह आलू का थोक भाव स्थानीय सब्जी मंडी में 20 रुपये प्रति किलो है, लेकिन खुदरा बाजार में यह 35 रुपये में बिक रहा है।
यह पता चला है कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर संबंधित अधिकारियों द्वारा कोई जांच नहीं की जाती है, क्योंकि हर दुकानदार अपनी स्वयं की मूल्य सूची रखता है।