चंडीगढ़ : पांच किसान संघों ने भीषण जल संकट को लेकर आज मोहाली में दिल्ली जैसा मोर्चा शुरू करने की घोषणा की।
बलबीर सिंह राजेवाल के तत्वावधान में किसान भवन में भारती किसान यूनियन (राजेवाल), ऑल इंडिया किसान फेडरेशन, किसान संघर्ष कमेटी पंजाब, भारती किसान यूनियन-मनसा और आजाद किसान संघर्ष कमेटी नाम के पांच संगठनों की बैठक हुई जिसमें प्रतिभागियों ने विचार-विमर्श किया। जल संकट, पर्यावरण प्रदूषण और राज्य के संघीय ढांचे पर हमले के खिलाफ मोर्चा शुरू करने के लिए राज्य में किसानों की तैयारी और लामबंदी।
राजेवाल ने कहा कि पिछले महीने संघों द्वारा आयोजित सम्मेलनों में बड़ी संख्या में भाग लिया गया था, जो स्पष्ट रूप से संकेत देते थे कि पानी और पर्यावरण के मुद्दे केंद्र बिंदु प्राप्त करने जा रहे थे।
राजेवाल ने कहा, “नदियों का राज्य, पंजाब पानी से वंचित है और केवल 27 प्रतिशत भूमि नहरों से सिंचित है। केंद्र सरकार की गलत नीतियों और फैसलों के कारण पाकिस्तान और अन्य राज्यों में बहुत पानी बह रहा है। पार्टियों ने रिपेरियन सिद्धांत पर आधारित जल विवाद का स्थायी समाधान खोजने के बजाय अपने निहित स्वार्थों के लिए इस मुद्दे का केवल राजनीतिकरण किया है।”
“इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का हस्तक्षेप अवैध और असंवैधानिक है क्योंकि पानी राज्य का विषय है (राज्य सूची की प्रविष्टि 17)। नेताओं की राय है कि पानी पर पहला हक पंजाब का है। इसलिए राज्य के हर खेत में पानी पहुंचना चाहिए।’
बैठक में निर्णय लिया गया कि 30 दिसम्बर को चण्डीगढ़ में स्थाई मोर्चा निकाला जायेगा। इससे पहले मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने के लिए एक लाख पोस्टर बांटे जाएंगे। किसानों को लामबंद करने के लिए 2 दिसंबर से 15 दिसंबर तक सभी जिलों में संयुक्त मार्च निकाला जाएगा।