पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने होशियारपुर के गढ़शंकर उपमंडल को प्रस्तावित आनंदपुर साहिब जिले में विलय करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि उपविभागों और जिलों का गठन या विलय राज्य के विशेष नीतिगत क्षेत्राधिकार में आता है, जहां न्यायिक हस्तक्षेप अनुचित है, जब तक कि निर्णय आम आदमी की अंतरात्मा को झकझोर न दे।
पीठ ने कहा कि जनहित याचिका में विलय के संबंध में परामर्श, व्यवहार्यता अध्ययन या अनुमोदन के कथित अभाव पर चिंता जताई गई है। हालाँकि, न्यायिक हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं पाया गया, खासकर तब जब विलय की अभी तक आधिकारिक अधिसूचना नहीं दी गई है।
अदालत ने कहा, “ऐसा कोई आधार नहीं बनता और इसके अलावा, प्रस्तावित आनंदपुर साहिब ज़िले में गढ़शंकर उप-विभाग के विलय की अधिसूचना अभी तक जारी नहीं की गई है। इसलिए, फिलहाल यह याचिका खारिज की जाती है।” विपक्षी दल और हितधारक पंजाब के 24वें जिले के रूप में आनंदपुर साहिब के प्रस्तावित निर्माण का विरोध जारी रखे हुए हैं, जिसमें रूपनगर के कुछ हिस्से और होशियारपुर का गढ़शंकर उपखंड शामिल होगा।
गढ़शंकर बार एसोसिएशन और गढ़शंकर विधानसभा क्षेत्र के निवासियों ने इस विलय का विरोध किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि यह उप-विभाग होशियारपुर ज़िले का अभिन्न अंग है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि ऐतिहासिक, प्रशासनिक, आर्थिक और जनभावना के कारण गढ़शंकर को होशियारपुर में ही रखा जाना ज़रूरी है।


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