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पंजाब में अग्निशमन विभाग का नया कदम, पराली जलाने वालों को नहीं मिलेगा हथियार का लाइसेंस

पंजाब में धान की कटाई का मौसम शुरू होने के एक सप्ताह के भीतर 60 से अधिक खेतों में आग लगने की घटनाओं की सूचना मिलने के बाद, राज्य के जिला प्रशासन ने फसल अवशेषों में आग लगाने वाले किसानों के राजस्व रिकॉर्ड में “लाल प्रविष्टियाँ” दर्ज करने के लिए औपचारिक आदेश जारी करना शुरू कर दिया है। कथित तौर पर जिला अधिकारियों द्वारा यह कदम राज्य सरकार की मंजूरी के बाद उठाया गया है।

जिन किसानों के राजस्व रिकॉर्ड में लाल प्रविष्टियां हैं, वे किसी भी हथियार के लिए नए लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे या अपने मौजूदा हथियार लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करा पाएंगे।

पटियाला के अतिरिक्त उपायुक्त-सह-अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट कंचन ने आदेश दिया है कि कोई भी व्यक्ति नए हथियार लाइसेंस या मौजूदा लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन करेगा तो उसे भूमि रिकॉर्ड सत्यापित होने के बाद ही “मंजूरी मिलेगी”। आदेश के अनुसार, खेतों में आग लगाने वाले (राजस्व रिकॉर्ड में लाल प्रविष्टियाँ होने वाले) लोग कोई नया हथियार लाइसेंस नहीं ले पाएँगे या अपने मौजूदा हथियार लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करा पाएँगे।

राज्य में रविवार को खेतों में पराली जलाने की 11 घटनाएं हुईं, जो 15 सितंबर से शुरू हुए इस सीजन में एक दिन में सबसे अधिक है। इनमें से छह घटनाएं अमृतसर में, चार गुरदासपुर में और एक पटियाला में हुईं।

इस बीच, किसान यूनियनों ने मांग की है कि सरकार किसानों को पराली प्रबंधन के लिए वित्तीय सहायता दे। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार उन्हें फसल अवशेष प्रबंधन के लिए पर्याप्त सहायता प्रदान करने में विफल रही है, इसलिए वे पराली जलाने के लिए मजबूर हैं। हम इस संबंध में किसानों के खिलाफ किसी भी कार्रवाई का विरोध करेंगे, जिसमें राजस्व रिकॉर्ड में लाल प्रविष्टियां या एफआईआर दर्ज करना शामिल है।”

इस सीजन में राज्य में 32.5 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हुई है। इससे करीब 22.5 मिलियन टन पराली पैदा होने का अनुमान है और इसका प्रबंधन करना राज्य सरकार के लिए चुनौती होगी।

दोआबा क्षेत्र में तैनात एक अन्य डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि वह भी आने वाले दिनों में इसी तरह के आदेश पारित करेंगे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल हर जिले में डीसी के प्रदर्शन पर बारीकी से नजर रखते हैं।

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