राज्य सरकार 8 अक्टूबर से पांगी में प्राकृतिक रूप से उगाए गए जौ की खरीद शुरू करेगी। राज्य सरकार ने इस जौ के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया है। यह पहली बार है कि इस सुदूर क्षेत्र में सरकार द्वारा समर्थित इस तरह का खरीद अभियान चलाया जा रहा है।
एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, कृषि विभाग ने खरीद अभियान की सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। पांगी घाटी में हुडन, सेचू, सुराल, किलाड़ और साच में पाँच खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं। अब तक पांगी क्षेत्र के 80 किसानों ने इस पहल के तहत विभाग में पंजीकरण कराया है।
सरकार ने 22 खरीद केंद्रों के माध्यम से 838 किसानों से 2,123.587 क्विंटल प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूँ की खरीद पहले ही कर ली है। खरीदे गए गेहूँ को आटे और दलिया में संसाधित किया जा रहा है और इसे ‘हिम-भोग’ ब्रांड के तहत बेचा जाएगा। किसानों को उनकी उपज के लिए 1.27 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, साथ ही परिवहन सब्सिडी के रूप में 4.15 लाख रुपये अतिरिक्त दिए गए हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार विभिन्न फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (गेहूँ के लिए 60 रुपये प्रति किलो, मक्का के लिए 40 रुपये, कच्ची हल्दी के लिए 90 रुपये और जौ के लिए 60 रुपये) की पेशकश करके प्राकृतिक रूप से उगाई गई उपज को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह पहल न केवल उपभोक्ताओं के लिए रसायन-मुक्त खाद्य उत्पाद सुनिश्चित करती है, बल्कि प्राकृतिक तरीकों से खेती करने वाले किसानों के लिए बेहतर कीमतों की गारंटी भी देती है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने और ग्रामीणों के हाथों में सीधे पैसा पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा, “सरकार ने अर्की विधानसभा क्षेत्र में दो नई पहल शुरू की हैं – दुग्ध प्रोत्साहन योजना और परिवहन सब्सिडी योजना।”
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