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साहित्य जगत के अनमोल रत्न थे ‘राहत इंदौरी’, ताउम्र रही ऐसी शायरी की ख्वाहिश जो उन्हें अमर बना दे

'Rahat Indori' was a priceless gem of the literary world, he aspired all his life for such poetry that would make him immortal.

नई दिल्ली, 11 अगस्त । साहित्यिक रत्नों में से एक बेहतरीन उर्दू शायर राहत इंदौरी अपने शब्दों से जादू बिखेरने के लिए जाने जाते थे। काव्य गोष्ठियों की आत्मा कहे जाते थे। राहत ने ऊर्दू को बहुत सहज अंदाज में जन-जन तक नज्मों के जरिए अपनी बात पहुंचाई। शायरी में तरन्नुम भी था और आंदोलित करने की कुव्वत भी। आज इसी शब्दवीर की पुण्यतिथि है।

इंदौरी का जन्म जनवरी 1950 को इंदौर में रिफअत उल्लाह साहब के घर हुआ था। उनके पिता रिफअत उल्लाह 1942 में देवास के सोनकच्छ से इंदौर आकर बस गए थे। इंदौरी ने इंदौर के नूतन स्कूल में पढ़ाई की और इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से स्नातक किया।

उन्होंने 1975 में भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में एमए पास किया और 1985 में भोज विश्वविद्यालय से उर्दू में मुशायरा नामक थीसिस के लिए उन्हें पीएचडी से सम्मानित किया गया। शायर होने के साथ-साथ राहत इंदौरी एक कुशल खिलाड़ी भी थे। वे हाईस्कूल और कॉलेज की फुटबॉल और हॉकी टीमों के कप्तान भी थे।

उन्होंने कॉलेज के दिनों में ही शेरों शायरी शुरू कर दी थी। पहला शेर 19 साल की उम्र में सुनाया था। घर की आर्थिक तंगी के कारण राहत इंदौरी को कम उम्र में ही साइन पेंटर का काम करना पड़ा। उन्होंने फिल्मों के पोस्टर पर भी काम किया। कुछ समय तक इंदौरी ने मुंबई में गीतकार के तौर पर भी काम किया। हालांकि उनके काम को काफी सराहना मिली, लेकिन 90 के दशक में वे अपने गृहनगर इंदौर लौट आए।

इंदौरी ने त्रैमासिक पत्रिका ‘शाखें’ (शाखाएं) का दस सालों तक संपादन किया। उन्होंने अपनी सात काव्य पुस्तकों को प्रकाशित और संपादित किया और चार दशकों से अधिक समय तक देश में काव्य संगोष्ठियों में एक लोकप्रिय चेहरा रहे। इंदौरी की ‘नज़्म’ ‘सरहदों पर बहुत तनाव है क्या’ और ‘किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़े ही है’ सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) विरोधी लोगों के बोल रहे।

बॉलीवुड फिल्मों के लिए कई गीत लिखकर भी ख्याति अर्जित की। शायरी के क्षेत्र में 50 साल लंबे करियर के साथ इंदौरी ने सबसे पहले साल 1993 में आई फिल्म ‘सर’ के लिए गाना लिखा था। इसमें उनका लिखा गीत ‘आज हमने दिल का हर किस्सा’ काफी पॉपुलर हुआ था। इसके बाद उन्होंने खुद्दार, मर्डर, मुन्नाभाई एमबीबीएस, मिशन कश्मीर, करीब, इश्क, घातक और बेगम जान जैसी फिल्मों में गानों के बोल लिखे।

इंदौरी साहब अक्सर कहा करते थे कि उन्हें अभी भी वह शायरी लिखनी है जो उन्हें अमर बनाएगी। वह कहा करते थे कि मेरे मरने के बाद मेरी जेब में देखना, तुम्हें वह वहां मिल जाएगी। अपने ऑन-स्टेज प्रदर्शनों के अलावा राहत इंदौरी ने कई लोकप्रिय हिंदी फिल्मों जैसे करीब, मर्डर और मुन्ना भाई एमबीबीएस के लिए गीत भी लिखे। राहत इंदौरी ने 11 अगस्त, 2020 को अंतिम सांस ली।

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