N1Live National राजीव सरकार ने संविधान को रौंदकर शरिया को बनाया बड़ा, सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : भाजपा
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राजीव सरकार ने संविधान को रौंदकर शरिया को बनाया बड़ा, सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : भाजपा

Rajiv government made Sharia big by trampling the Constitution, historic decision of Supreme Court: BJP

नई दिल्ली, 10 जुलाई। तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि अब तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं सीआरपीसी की धारा-125 के तहत याचिका दायर कर अपने पति से भरण-पोषण के लिए भत्ता मांग सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भाजपा प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि लोकसभा चुनाव से लेकर सदन में जो लोग संविधान लेकर आए थे, सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन लोगों को करारा जवाब है। शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को राजीव गांधी की सरकार ने पलट दिया था। उस समय की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संविधान को रौंदकर संविधान को शरिया से बड़ा कर दिया था।

उन्होंने कहा कि मैं चुनौती देकर कहता हूं कि ऐसा कोई धर्मनिरपेक्ष देश बताइए, जहां सुप्रीम कोर्ट से उपर शरिया हो। आज का फैसला हमें याद दिलाता है कि जब-जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई है, संविधान को नुकसान पंहुचाया है। आज के फैसले से 40 साल पहले की समस्या समाप्त हुई है। मुस्लिम महिलाओं को इस फैसले से बहुत बड़ी राहत मिली है और मानवीय संवेदना का मार्ग प्रशस्त हुआ है। मजहबी मामले से अलग हटकर मैं कहूंगा कि यह महिलाओं को समान रूप से सम्मान और अधिकार देने का फैसला है, जिसका हम सब स्वागत करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कह दिया है कि यह फैसला हर धर्म की महिलाओं पर लागू होगा और मुस्लिम महिलाएं भी इसका सहारा ले सकती हैं। इसके लिए उन्हें सीआरपीसी की धारा-125 के तहत कोर्ट में याचिका दाखिल करने का अधिकार है। इस संबंध में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने फैसला सुनाया है।

यह पूरा मामला अब्दुल समद नाम के व्यक्ति से जुड़ा हुआ है। बीते दिनों तेलंगाना हाईकोर्ट ने अब्दुल समद को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था। इस आदेश के विरोध में अब्दुल समद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। अब्दुल ने अपनी याचिका में कहा कि उनकी पत्नी सीआरपीसी की धारा-125 के अंतर्गत गुजारा भत्ता मांगने की हकदार नहीं है।

पीड़िता को मुस्लिम महिला अधिनियम-1986 के अनुरूप चलना होगा। ऐसे में कोर्ट के सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि वो किसे प्राथमिकता दे। मुस्लिम महिला अधिनियम या सीआरपीसी की धारा-125 को, आखिर में कोर्ट ने मुस्लिम महिला के पक्ष में फैसला सुनाया।

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