केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को राज्यसभा में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत किया। यह प्रस्ताव ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025’ पर संयुक्त समिति के गठन के लिए था। राज्यसभा में पेश किए गए केंद्रीय शिक्षा मंत्री के इस प्रस्ताव में लोकसभा की संस्तुति से सहमति व्यक्त की गई है।
लोकसभा की संस्तुति के तहत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधारों को सक्षम बनाने के उद्देश्य से संसद के दोनों सदनों की एक संयुक्त समिति का गठन किया जाना है। प्रस्ताव के अनुसार, यह संयुक्त समिति उस विधेयक की समीक्षा करेगी, जिसका उद्देश्य विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को शिक्षण, अधिगम, अनुसंधान और नवाचार में उत्कृष्टता प्राप्त करने हेतु सक्षम और सशक्त बनाना है।
सदन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री के इस प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। इसके अंतर्गत उच्च शिक्षा, अनुसंधान तथा वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों में समन्वय और मानकों का निर्धारण सुनिश्चित किया जाएगा। ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान’ देश के विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वायत्त, आत्मनिर्भर और स्व-शासित संस्थान बनने में सहायता करेगा। साथ ही, यह अधिष्ठान मजबूत और पारदर्शी प्रत्यायन प्रणाली, शैक्षणिक स्वायत्तता और गुणवत्ता आधारित मूल्यांकन के माध्यम से उत्कृष्टता को बढ़ावा देगा।
केंद्रीय मंत्री द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि इस विधेयक से जुड़े या उससे संबंधित सभी विषयों पर विचार-विमर्श के लिए संयुक्त समिति का गठन आवश्यक है। प्रस्ताव में यह संकल्प लिया गया कि राज्यसभा के दस सदस्यों का नामांकन सभापति द्वारा किया जाएगा, जो लोकसभा के सदस्यों के साथ मिलकर इस संयुक्त समिति में कार्य करेंगे।
सरकार के अनुसार, यह विधेयक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को सुदृढ़ करेगा और भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा। संयुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर विधेयक को और अधिक व्यापक, समावेशी तथा प्रभावी बनाए जाने की अपेक्षा है।
विधेयक के प्रमुख उद्देश्यों में उच्च शिक्षा, अनुसंधान, वैज्ञानिक एवं तकनीकी संस्थानों में मानकों का समन्वय एवं निर्धारण शामिल है। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र, स्वशासी संस्थान के रूप में विकसित करना इसका उद्देश्य है। केंद्र सरकार के अनुसार मजबूत, पारदर्शी और विश्वसनीय प्रत्यायन प्रणाली के माध्यम से गुणवत्ता और उत्कृष्टता को बढ़ावा देना भी इसका एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। इन सभी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान’ की स्थापना की जानी है।
सरकार के अनुसार, यह विधेयक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप है। यह भारत को ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। संयुक्त समिति के माध्यम से विधेयक के सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा सुनिश्चित की जाएगी, ताकि उच्च शिक्षा प्रणाली को अधिक सक्षम, पारदर्शी और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया जा सके।

