शिमला, 28 अगस्त हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव से संबंधित “चुनावी अपराधों” में कथित रूप से शामिल तीन लोगों को अग्रिम जमानत दे दी है, जिसमें छह कांग्रेस विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया था। इनमें गगरेट के पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा, उनके पिता राकेश शर्मा और तरुण भंडारी शामिल हैं।
ज़मानत देते हुए जस्टिस संदीप शर्मा ने कहा कि “किसी व्यक्ति की आज़ादी सबसे महत्वपूर्ण है और उसे अनिश्चित काल के लिए बाधित नहीं किया जा सकता। जब तक आरोपी का अपराध साबित नहीं हो जाता, तब तक कानून के अनुसार उसे निर्दोष माना जाता है। इस मामले में, ज़मानत याचिकाकर्ताओं का अपराध, अगर कोई है, तो कानून के अनुसार अभी साबित होना बाकी है।”
न्यायमूर्ति शर्मा ने आगे कहा, “जमानत का उद्देश्य मुकदमे में अभियुक्त की उपस्थिति सुनिश्चित करना है और इस सवाल के समाधान में लागू किया जाने वाला उचित परीक्षण कि क्या जमानत दी जानी चाहिए या नहीं, यह है कि क्या यह संभावना है कि पक्षकार अपने मुकदमे में उपस्थित होगा। अन्यथा, सजा के तौर पर जमानत नहीं रोकी जानी चाहिए। अन्यथा भी, सामान्य नियम जमानत का है, जेल का नहीं।”
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग करता है या उस पर लगाई गई किसी भी शर्त का उल्लंघन करता है, तो जांच एजेंसी जमानत रद्द करने के लिए इस अदालत में याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र होगी।
पुलिस ने 10 मार्च को दो कांग्रेस विधायकों की शिकायत पर शिमला के बालूगंज थाने में आशीष शर्मा और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।