N1Live National वीरता, पराक्रम और बलिदान की प्रतीक हैं रानी दुर्गावती : मोहन यादव
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वीरता, पराक्रम और बलिदान की प्रतीक हैं रानी दुर्गावती : मोहन यादव

Rani Durgavati is a symbol of valor, valor and sacrifice: Mohan Yadav

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंगलवार को कहा कि रानी दुर्गावती अपने नाम के अनुरूप मां दुर्गा के समान वीर और पराक्रम की प्रतिमूर्ति थीं। आज उनका बलिदान दिवस है। रानी दुर्गावती का जन्म लगभग 500 वर्ष पहले हुआ था। अमेरिका सहित पश्चिम के देशों को सामान्य तौर पर संस्कृति में अग्रणी माना जाता है, लेकिन भारत का गौरवशाली अतीत रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी अंचल की रानी दुर्गावती और रानी अवंतीबाई नारी सशक्तीकरण की सबसे बड़ी उदाहरण हैं। रानी दुर्गावती के पिता ने 500 साल पूर्व उन्हें घुड़सवारी, तलवारबाजी और युद्ध कौशल में निपुण बनाया था।

मुख्यमंत्री जबलपुर के नर्रई नाला स्थित वीरांगना रानी दुर्गावती की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद बारहा ग्राम में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि जबलपुर का ठाकुरताल पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा। यहां भोपाल के वन विहार की तर्ज पर एक आधुनिक चिड़ियाघर (रेस्क्यू सेंटर एवं जू) बनाया जाएगा, यह सेंटर गौंडवाना साम्राज्य की वीरांगना रानी दुर्गावती को समर्पित होगा। यह वन्यप्राणी रेस्क्यू सेंटर रानी दुर्गावती के नाम से जाना जाएगा। राज्य सरकार रानी दुर्गावती सहित सभी महान हस्तियों का सम्मान करते हुए आगे बढ़ रही है।

मुख्यमंत्री ने मैराथन जैसे आयोजनों के लिए नगर निगम जबलपुर को 5 लाख रुपए और कार्यक्रम में मनमोहक प्रस्तुति देने वाले प्रत्येक लोक कलाकार को 5-5 हजार रुपए देने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मोटे अनाज के प्रोत्साहन एवं उपार्जन के लिए रानी दुर्गावती के नाम पर योजना प्रारंभ की है। रानी दुर्गावती ने अपने जीवनकाल में 52 लड़ाइयां लड़ीं और 51 में विजय प्राप्त की। उनके गौंडवाना साम्राज्य में 23 हजार गांव शामिल थे। वीर रानी दुर्गावती ने तीन बार मुगल सेना को धूल चटाई थी। राज्य सरकार ने उनकी वीरता की कहानियों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। यह विरासत से विकास का एक क्रम है। वीरांगना दुर्गावती ने जल संरक्षण की दिशा में भी उल्लेखनीय प्रयास किए थे। उनके साथ इसी स्थान पर विश्वासघात हुआ था और उन्होंने वीरतापूर्वक अपना बलिदान कर दिया था। रानी दुर्गावती भी चंद्रशेखर आजाद की तरह आजाद रहीं।

उन्होंने वीरांगनाओं को याद करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में रानी अवंतीबाई व रानी लक्ष्मीबाई की शौर्य व पराक्रम की अद्भुत गाथा है। वर्तमान समय में आदिवासी अंचल की बहन राष्ट्रपति पद को गौरवांवित कर रही हैं। परिसीमन के बाद विधानसभा चुनाव में बहनों को भी 33 प्रतिशत आरक्षण देने की भावना है।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान रानी दुर्गावती मैराथन दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले धावकों को चेक एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किए।

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