उन्होंने अपने पेशेवर करियर की शुरुआत वर्ष 1988 में की थी। प्रख्यात पशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बंगा सितंबर 2020 में रजिस्ट्रार के रूप में शामिल हुए।
इससे पहले उन्होंने पशु चिकित्सा पैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर-सह-प्रमुख, विश्वविद्यालय लाइब्रेरियन और पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय, रामपुरा फूल, बठिंडा के डीन के रूप में कार्य किया।
वह सेंटर ऑफ एडवांस्ड फैकल्टी ट्रेनिंग (सीएएफटी) के संस्थापक निदेशक हैं, क्योंकि विभागाध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान ही विभाग को यह प्रतिष्ठित सेंटर प्राप्त हुआ था, जो विभाग के लिए एक स्थायी परिसंपत्ति है।
उन्होंने ऑनलाइन ई-लर्निंग शिक्षण पोर्टल “ई-हरनिर्देश” भी विकसित किया, जिससे वेट वर्सिटी देश का पहला पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय बन गया, जिसने लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया। इसके अलावा उन्होंने वर्सिटी का डिजिटल रिसर्च रिपॉजिटरी और कई शैक्षिक यूट्यूब वीडियो भी विकसित किए। उन्होंने विश्वविद्यालय के कामकाज में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए अधिनियम और क़ानून, खाता कोड, पेंशन नियम जैसी नियम पुस्तिकाओं को संहिताबद्ध करवाया। उन्होंने सेमेस्टर और छात्रावास के नियम भी लिखे।
उन्होंने थीसिस लेखन में सुसंगत और एकरूप दृष्टिकोण के लिए एक सारांश और थीसिस लेखन पुस्तक का योगदान दिया।
कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने डॉ. बंगा की तहे दिल से प्रशंसा की और कहा कि डॉ. बंगा द्वारा किए गए परिश्रमपूर्ण कार्य ने विश्वविद्यालय के परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का वर्तमान कद इन कार्यपालकों के महान और दूरदर्शी प्रयासों के कारण है। विदाई समारोह में विश्वविद्यालय के डीन, निदेशक और संकाय सदस्य उपस्थित थे।