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तीसरे देश की मध्यस्थता को नकारना भारत की कूटनीतिक जीत : रक्षा विशेषज्ञ

Rejecting third country's mediation is India's diplomatic victory: Defence expert

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों के दौरे पर हैं। इस दौरान जी-7 समिट में हिस्सा लेने के लिए वह कनाडा पहुंचे। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शिखर सम्मेलन के बीच में स्वदेश लौट जाने से दोनों नेताओं के बीच मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद ट्रंप ने फोन पर पीएम मोदी से बात की। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ जी.जे. सिंह ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री का इस बातचीत के दौरान भारत-पाक मुद्दे पर तीसरे देश की मध्यस्थता को नकारना एक कूटनीतिक जीत है।

पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से फोन पर बात करते हुए पाकिस्तान मामले में किसी भी तीसरे देश के हस्तक्षेप को नकारा है। वहीं, ट्रंप अपने पिछले कई बयानों में पाकिस्तान और भारत के बीच मध्यस्थता की बात दोहरा चुके हैं।

रक्षा विशेषज्ञ जी.जे सिंह ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, पिछले बहुत साल से हमारी सरकार की यह नीति रही है कि किसी भी देश की मध्यस्थता में नहीं रहे हैं। हमने पहले भी इसे साफ किया है कि दोनों देश (भारत-पाकिस्तान) एक-दूसरे की भाषा को समझते हैं, दोनों देशों की एक संस्कृति है।”

उन्होंने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री ने बहुत साफ शब्दों में कहा है कि हमें किसी की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है, यह द्विपक्षीय मामला है। वहीं, अगर पाकिस्तान से किसी बात पर बात होगी, तो वह सिर्फ आतंकवाद पर होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक समुदाय को यह भी साफ किया है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकती। खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”

जी.जे. सिंह ने कहा, “मैं समझता हूं कि इस बार जब पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप से बात की है, तो उन्होंने बहुत साफ-सुथरे शब्दों में समझाया है कि हमें किसी की मध्यस्थता नहीं चाहिए। जो राष्ट्रपति ट्रंप कई ट्वीट करके यह बार-बार बताते रहे हैं कि हमने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कराई है, उन्हें समझाया है। पीएम मोदी ने उनकी बातों को नकार दिया है। उन्होंने इसका खंडन किया है, जिसे हमें डिप्लोमैटिक जीत की तरह देखना चाहिए।”

ईरानी नेता अयातुल्ला खुमैनी की जानकारी होने और उसे नहीं मारने वाले ट्रंप के दावे पर जी.जे. सिंह ने कहा, “अयातुल्ला खुमैनी कहां है, इसकी जानकारी मोसाद को भी है, लेकिन अगर ट्रंप कहते हैं कि वह उसे मारना नहीं चाहते हैं, इसके पीछे वजह यह है कि खुमैनी के मारने के बाद ईरान में एक गृह युद्ध शुरू हो जाएगा, जिसे अमेरिका भी कंट्रोल नहीं कर सकता।”

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