हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से उस आवेदन पर जवाब मांगा है जिसमें कहा गया है कि सोलन-कैथलीघाट खंड पर सड़क निर्माण के लिए कोई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार नहीं की गई है।
सुनवाई के दौरान, अदालत के ध्यान में लाया गया कि न्यायमित्र ने एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया है कि सोलन-कैथलीघाट खंड के लिए सड़क की कोई डीपीआर तैयार नहीं की गई है, फिर भी इसका निर्माण किया जा रहा है तथा यह पूरा होने वाला है।
मामले को गंभीरता से लेते हुए न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा ने कहा, “बिना डीपीआर के सड़क कैसे बन गई, यह गंभीर मामला है। इसलिए एनएचएआई को अगली सुनवाई से पहले इस आवेदन पर अपना जवाब दाखिल करना चाहिए।” मामला 14 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया गया।
सुनवाई के दौरान न्यायमित्र ने अदालत के ध्यान में यह भी लाया कि शिमला-नौनी खंड पर शिमला-मटौर सड़क के संरेखण को पुनः डिजाइन किया गया है और कुछ व्यक्तियों को अवैध लाभ पहुंचाने के लिए इसमें बदलाव किया गया है।
इस पर, अदालत ने कहा कि “यह वास्तव में एक गंभीर मामला है” और एनएचएआई को अगली सुनवाई की तारीख पर इस आशय का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों को चार लेन तक चौड़ा करने के मुद्दे पर एक जनहित याचिका पर निर्देश पारित किए।
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