हरियाणा सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) और अंत्योदय कार्ड धारकों के लिए सरसों के तेल की कीमत बढ़ाने के हालिया फैसले की पूरे राज्य में कड़ी आलोचना हो रही है। सरसों के तेल की कीमत जो पहले 20 रुपये प्रति लीटर थी, अब बढ़ाकर 50 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है।
इस फैसले का विरोध करने के लिए कई राजनीतिक नेता और पार्टियां आगे आई हैं। कांग्रेस नेता और कालांवाली विधायक शीशपाल केहरवाला ने इस बढ़ोतरी को ‘जनविरोधी’ करार देते हुए कहा कि यह गरीबों के अधिकारों पर सीधा हमला है। अपने बयान में उन्होंने कहा कि जनहित में काम करने का दावा करने वाली सरकार ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे परिवारों पर और दबाव बढ़ेगा। उन्होंने लोगों को यह भी याद दिलाया कि इसी सरकार ने पहले भी बिजली के दाम बढ़ाए थे। उनके मुताबिक सरकार का नारा ‘सबका साथ, सबका विकास’ सिर्फ दिखावा है और असलियत में इसका फायदा सिर्फ अमीरों को मिल रहा है।
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उद्योग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने सरकार के इस कदम की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे “अमानवीय” बताया। उन्होंने कहा कि इस कदम से लगभग 48 लाख गरीब परिवार बुरी तरह प्रभावित होंगे, जो अपनी दैनिक जरूरतों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) पर निर्भर हैं। उन्होंने सरकार के इस तर्क की भी आलोचना की कि गरीबों को हर महीने एक लीटर से अधिक तेल की जरूरत नहीं है। बुवानीवाला ने कहा कि इससे पता चलता है कि भाजपा सरकार गरीबों को इंसान नहीं बल्कि बोझ समझती है।
बुवानीवाला ने आगे बताया कि पिछले तीन महीनों में करीब 4.78 लाख परिवारों को बीपीएल सूची से हटा दिया गया है। इनमें से कई परिवार बेहद गरीब हैं, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में उनके पास कार या अन्य संपत्ति दिखाई गई है, जिसे उन्होंने “डिजिटल धोखाधड़ी” कहा। उन्होंने कहा कि यह जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। मार्च में बीपीएल सूची में 52.50 लाख परिवार थे। अब 47.72 लाख रह गए हैं। बुवानीवाला ने मांग की कि सरकार तेल की कीमत को फिर से 2 लीटर के लिए 40 रुपये पर लाए और बीपीएल सूची को ईमानदारी से संशोधित करे। उन्होंने यह भी मांग की कि जिन पात्र परिवारों को गलत तरीके से हटाया गया है, उन्हें फिर से सूची में जोड़ा जाए।
इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के जिला अध्यक्ष जसबीर सिंह जस्सा ने भी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह अचानक की गई बढ़ोतरी गरीब परिवारों पर भारी बोझ है। उन्होंने कहा कि सरकार कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से गरीबों की मदद करने का दावा करती है, लेकिन वास्तव में यह उनकी पीड़ा बढ़ा रही है।
जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के अशोक वर्मा और अमर सिंह जियांनी ने भी गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी गरीबों का मजाक उड़ाने जैसा है। उन्होंने राशन डिपो धारकों के लिए भी चिंता जताई, जिन्हें अब तेल के लिए गरीब परिवारों से 100 रुपये वसूलने पड़ते हैं, लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता। डिपो मालिकों को विभाग को अग्रिम भुगतान भी करना पड़ता है और अक्सर उन्हें पांच से आठ महीने में एक बार ही कमीशन मिलता है