May 22, 2025
Entertainment

कान्स में मां शर्मिला टैगोर और सिमी गरेवाल के साथ सबा ने की यादें ताजा, साझा किए खास पल

Saba revived memories with her mother Sharmila Tagore and Simi Garewal in Cannes, shared special moments

बॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर ने अपनी बड़ी बेटी सबा अली खान और एक्ट्रेस सिमी गरेवाल के साथ कान्स फिल्म फेस्टिवल में शिरकत की। यहां वह सत्यजीत रे की क्लासिक फिल्म ‘अरनयेर दिन रात्रि’ की स्क्रीनिंग के लिए पहुंची थीं। दोनों ने रेड कार्पेट पर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस पल की खास तस्वीरें सबा ने अपने इंस्टाग्राम पर शेयर की।

तस्वीरों में शर्मिला टैगोर, सिमी गरेवाल और सबा अली खान बेहद सुंदर नजर आ रही हैं। एक तस्वीर में दर्शक खड़े होकर शर्मिला को सम्मान देते नजर आ रहे हैं। एक अन्य तस्वीर में वह मशहूर निर्देशक वेस एंडरसन के साथ पोज दे रही हैं। इसके अलावा, शर्मिला लोगों को संबोधित करती भी दिखाई दे रही हैं।

कान्स की इन तस्वीरों को शेयर करते हुए सबा ने कैप्शन में लिखा, ”छोटे और खास पल… स्टैंडिंग ओवेशन, जिंदगी का एक खूबसूरत जश्न। जिस टीम की वजह से यह सब मुमकिन हुआ, उन्हें बधाई!”

बता दें कि सत्यजीत रे की बंगाली फिल्म ‘अरनयेर दिन रात्रि’ 1970 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म फेस्टिवल में इसे अंग्रेजी में दिखाया गया। इसे अंग्रेजी में ‘डेज एंड नाइट्स इन द फॉरेस्ट’ नाम दिया गया। इस नए वर्जन को 2025 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में क्लासिक सेक्शन के तहत दिखाया गया। यह सेक्शन पुरानी और शानदार फिल्मों को सम्मान देने के लिए है।

इस फिल्म का प्रीमियर मशहूर हॉलीवुड निर्देशक वेस एंडरसन ने पेश किया।

‘अरनयेर दिन रात्रि’ फिल्म की कहानी मशहूर लेखक सुनील गंगोपाध्याय के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है। इस फिल्म में एक खास साहित्यिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसे कार्निवलस्क कहा जाता है। इसमें गंभीर विषयों को हल्के-फुल्के और कभी-कभी मजाकिया तरीके से दिखाया जाता है।

यह फिल्म 20वें बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन बियर के लिए नॉमिनेट हुई थी। इस फिल्म का दूसरा भाग ‘आबार अरण्ये’ 2003 में रिलीज हुआ था, जिसे गौतम घोष ने डायरेक्ट किया था।

इस फिल्म की कहानी चार दोस्तों की है, जो शहर की बोरिंग और रोज की एक जैसी जिंदगी से छुटकारा पाने के लिए पलामू के जंगलों की तरफ घूमने निकलते हैं। जंगल में बिताया गया समय धीरे-धीरे उनके लिए खुद को समझने और अपनी ज़िंदगी को महसूस करने का एक सफर बन जाता है।

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