चंडीगढ़, 10 अगस्त नायब सिंह सैनी सरकार द्वारा लगभग 1.20 लाख संविदा कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा के रूप में चुनाव-पूर्व दिया गया ‘तोहफा’ उनमें उत्साह भरने में विफल रहा है।
नियमित नियुक्तियों में कटौती की साजिश संविदा कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति तक नौकरी की सुरक्षा देना एक चाल है नियमित नियुक्तियों में कमी लाना। चूंकि संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की तुलना में बहुत कम वेतन दिया जाता है, इसलिए विभिन्न विभाग अब व्यय में कटौती करने के लिए संविदा आधार पर कर्मचारियों की भर्ती करना पसंद करेंगे। सुभाष लांबा, अध्यक्ष, अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ
‘समान वेतन, समान कार्य’ के विरुद्ध भाजपा सरकार का यह कदम समान काम-समान वेतन के सिद्धांत के खिलाफ है। सरकार को हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (एचकेआरएनएल) को भंग कर देना चाहिए और इसके तहत काम कर रहे संविदा कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने की घोषणा करनी चाहिए। – कुमारी शैलजा, कांग्रेस सांसद
प्रस्तावित नीति में खामियों को उजागर करते हुए कर्मचारियों ने इसे संविदा कर्मचारियों को ‘सेवानिवृत्ति तक कम वेतन पर संविदा पर रखकर’ नियमितीकरण की मांग को कमजोर करने की एक चाल करार दिया है।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने आरोप लगाया, “चूंकि संविदा कर्मचारी स्वीकृत पदों के विरुद्ध काम कर रहे हैं, इसलिए उन्हें सेवानिवृत्ति तक नौकरी की सुरक्षा देना नियमित नियुक्तियों को कम करने की एक चाल है। चूंकि संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की तुलना में बहुत कम वेतन दिया जाता है, इसलिए विभिन्न राज्य सरकार के विभाग अब खर्च में कटौती करने के लिए संविदा के आधार पर कर्मचारियों की भर्ती करना पसंद करेंगे।”
इसके अलावा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) और एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) जैसी केंद्रीय परियोजनाओं के तहत काम करने वाले संविदा कर्मचारियों और राज्य सरकार की आउटसोर्सिंग नीति और हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (एचकेआरएनएल) के तहत काम नहीं करने वाले कर्मचारियों को बाहर करना ‘अन्यायपूर्ण’ है। यूनियन नेताओं ने आरोप लगाया कि हजारों कर्मचारी कई सालों से अपनी सेवाओं के नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं।
हरियाणा मंत्रिमंडल ने कल हरियाणा संविदा कर्मचारी अध्यादेश, 2024 को मंजूरी दे दी ताकि सेवानिवृत्ति की आयु तक उनकी नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
अध्यादेश के अनुसार, 15 अगस्त 2024 तक पांच साल की सेवा पूरी करने वाले संविदा कर्मचारी इस योजना के पात्र होंगे। ऐसे कर्मचारियों को पदों के वेतनमान के बराबर मूल वेतन, महंगाई भत्ते (डीए) में बढ़ोतरी के कारण हर साल जनवरी और जुलाई के पहले दिन से समेकित मासिक पारिश्रमिक वृद्धि और एक साल की सेवा के बाद वार्षिक वेतन वृद्धि मिलेगी।
इसके अलावा, वे मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और मातृत्व अधिनियम के तहत लाभ के भी हकदार होंगे। पीएम-जन आरोग्य योजना-चिरायु विस्तार योजना के तहत संविदा कर्मचारियों के परिवारों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ भी दिया जाएगा।
इस बीच, सिरसा से कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने मांग की है कि राज्य सरकार को एचकेआरएनएल को भंग कर देना चाहिए और इसके तहत काम कर रहे संविदा कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “सेवानिवृत्ति तक संविदा कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा प्रदान करने का सरकार का कदम समान वेतन, समान काम के सिद्धांत के खिलाफ है।”
गौरतलब है कि 2014 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संविदा कर्मचारियों के लिए तीन नियमितीकरण नीतियां बनाई थीं, जिसमें दावा किया गया था कि इससे हजारों कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। लेकिन इन नीतियों के तहत केवल 4,654 कर्मचारियों की सेवाएं ही नियमित हो पाईं।
बाद में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने इन नीतियों पर रोक लगा दी थी। उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) अभी भी सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।