N1Live National सतीश धवन : जब इसरो का नेतृत्व करने के लिए इंदिरा गांधी के सामने रखी थी दो शर्त
National

सतीश धवन : जब इसरो का नेतृत्व करने के लिए इंदिरा गांधी के सामने रखी थी दो शर्त

Satish Dhawan: When two conditions were placed before Indira Gandhi to lead ISRO

नई दिल्ली, 25 सितंबर। देश के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में अहम योगदान देने वाले और एक प्रख्यात भारतीय रॉकेट वैज्ञानिक प्रोफेसर सतीश धवन हैं। वह एक बेहतरीन इंसान और कुशल शिक्षक के साथ-साथ गणितज्ञ और एयरोस्पेस इंजीनियर थे। सतीश धवन को भारत का वैज्ञानिक समुदाय ‘परीक्षणात्मक तरल गति का जनक’ भी मानता है।

सतीश धवन का जन्म 25 सितंबर 1920 में श्रीनगर में हुआ था। सतीश धवन ने 1951 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में पीएचडी की थी। उन्होंने 1972 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के रूप में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई का स्थान ग्रहण किया था।

बताया जाता है कि साल 1971 में जब सतीश धवन कुछ वक्त के लिए अमेरिका गए थे। उन्हें विक्रम साराभाई की असमय निधन के बाद इसरो के अध्यक्ष पद का प्रस्ताव दिया गया। सतीश धवन ने इसके लिए तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के सामने दो शर्तें रख दी। पहली शर्त इसरो का मुख्यालय बेंगलुरु शिफ्ट किया जाए। दूसरी शर्त वे आईआईएससी के निदेशक का पद इसरो से जुड़ने के बाद भी नहीं छोड़ेंगे।

इंदिरा गांधी ने प्रोफेसर धवन की दोनों शर्तें मान ली। इसके बाद उन्होंने स्वदेश लौटने के बाद इसरो की कमान संभाली। माना जाता है कि उनके ही कार्यकाल में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सबसे ज्यादा और उल्लेखनीय तरक्की की।

उन्होंने युवा वैज्ञानिकों को लगातार प्रोत्साहित किया। इनमें से एक नाम हैं देश के पूर्व राष्ट्रपति और भारत के मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम का।

इसके अलावा सतीश धवन अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग में भारत सरकार में सचिव भी रहे थे। उन्होंने बेंगलुरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में बतौर प्रोफेसर भी काम किया। सतीश धवन ने संस्थान में देश के अलावा विदेशी युवा प्रतिभाओं को शामिल किया। उन्हें आईआईएससी में भारत के सर्वप्रथम सुपरसोनिक पवन सुरंग स्थापित करने का भी श्रेय दिया जाता है।

प्रोफेसर सतीश धवन को 1971 में विज्ञान और अभियांत्रिकी के क्षेत्र उल्लेखनीय कामों के लिए ‘पद्म भूषण’ से भी नवाजा गया था। श्रीहरिकोटा में स्थित इसरो के स्पेस सेंटर को उन्हें समर्पित किया गया है, जिसकी पहचान सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के नाम से है।

3 जनवरी 2002 में देश ने एक बड़ा वैज्ञानिक खो दिया। सतीश धवन ने 81 वर्ष की आयु में इस दुनिया से अलविदा कह दिया।

Exit mobile version