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अनुच्छेद-370 हटने के साक्षी रहे सत्यपाल मलिक, कभी कांग्रेसी, कभी भाजपाई, ऐसे बदलता गया सियासी सफर

Satyapal Malik was a witness to the abrogation of Article 370, sometimes a Congressman, sometimes a BJP member, this is how his political journey changed

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को निधन हो गया। 79 वर्षीय सत्यपाल मलिक लंबे समय से बीमार थे। उन्होंने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में आखिरी सांस ली। सत्यपाल मलिक ने जम्मू कश्मीर के अलावा बिहार, गोवा और मेघालय जैसे राज्यों में राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।

25 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक जाट परिवार में सत्यपाल मलिक का जन्म हुआ। मेरठ से उन्होंने अपनी शिक्षा हासिल की। राजनीतिक सफर की बात करें तो सत्यपाल मलिक ऐसे राजनेता थे, जो मौका देख कांग्रेस, जनता दल और भाजपा की नाव पर सवार हुए।

उन्होंने लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर 1965-66 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा। 1974 में वह बागपत विधानसभा क्षेत्र से भारतीय क्रांति दल के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए और विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक नियुक्त किए गए।

1980 में ‘लोकदल’ के सहारे उन्होंने संसद में कदम रखा। वह राज्यसभा सदस्य मनोनीत किए गए थे। हालांकि, 4 साल बाद ‘लोकदल’ छोड़कर उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। उन्हें 1986 में कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव की जिम्मेदारी दी। अगले ही साल, 1987 में ‘बोफोर्स घोटाले’ से खफा होकर उन्होंने राज्यसभा के साथ-साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और अपनी पार्टी ‘जन मोर्चा’ का गठन किया। हालांकि, 1988 में उन्होंने अपनी पार्टी का जनता दल में विलय कर लिया।

1989 में जनता दल के टिकट पर वह अलीगढ़ से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। फिर, 2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर बागपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। 2012 में भाजपा ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया। 2017 तक वह राजनीति से दूर हो गए और भाजपा ने उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया। 23 अगस्त 2018 को सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। बाद में, वे गोवा चले गए और 18वें राज्यपाल बने। फिर, उन्हें मेघालय का राज्यपाल बनाया गया था।

अपने राजनीतिक जीवन में वह जम्मू कश्मीर के राज्यपाल बनने के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में आए। सत्यपाल मलिक के कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म किया गया और एक पूर्व राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था। संयोग है कि उनके कार्यकाल में ही ठीक 6 साल पहले, 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था, जो भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जाता है।

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