महाकुंभ नगर, 15 जनवरी । मकर संक्रांति के पावन अवसर पर महाकुंभ में शामिल करोड़ों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ और योगी सरकार द्वारा की गई बेहतरीन व्यवस्थाओं से अभिभूत पूर्व सांसद साध्वी उमा भारती ने इसे अपने लौकिक जीवन का सबसे अनूठा क्षण बताया।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “प्रभु श्रीकृष्ण जैसा विराट रूप अर्जुन ने देखा, वैसा ही जनता जनार्दन का विराट रूप संगम पर स्नान करते हुए मैंने देखा।” पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने महाकुंभ में उमड़ी विशाल जनसंख्या को अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव बताया।
उन्होंने कहा, “करोड़ों-करोड़ नर-नारियों के रूप में जैसे नारायण स्वयं संगम पर डुबकियां लगा रहे हों।” पूर्व सांसद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार के कुशल प्रबंधन की सराहना की।
उन्होंने कहा, “सजग और सावधान योगी जी की सरकार का प्रशासन एवं पुलिस नतमस्तक भाव से सबकी सेवा में रत है।”
महाकुंभ में व्यवस्था और श्रद्धालुओं के लिए की गई व्यवस्थाओं की प्रशंसा करते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री, उनके सहयोगियों, प्रशासन और पुलिस को अभिनंदन और बधाई दी।
उन्होंने कहा कि महाकुंभ 2025 ने न केवल आध्यात्मिकता का संदेश दिया है, बल्कि इसे सफल बनाने में योगी सरकार की प्रतिबद्धता भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान का शुभारंभ मकर संक्रांति के पावन अवसर पर हुआ। संगम के त्रिवेणी तट पर लाखों श्रद्धालुओं और साधु-संतों का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस ऐतिहासिक अवसर पर स्नान कर श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था को नया आयाम दिया।
स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने घाट पर ही अपने ईष्ट देव की पूजा-अर्चना की। इस पूजन में तिल, खिचड़ी और अन्य पूजन सामग्रियों का उपयोग किया गया। श्रद्धालुओं ने तिल और खिचड़ी का दान कर धर्म लाभ प्राप्त किया। दान-पुण्य के इस क्रम ने पर्व को और पवित्र बना दिया।
मकर संक्रांति के इस पावन दिन संगम के घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। आस्था और उल्लास का ऐसा नजारा था, जिसने हर किसी के मन को भावविभोर कर दिया। स्नान के दौरान हर कोई अपने जीवन को पवित्र और सुखमय बनाने की प्रार्थना करता दिखा।
स्नान के दौरान श्रद्धालुओं ने सूर्य को अर्घ्य देकर पुण्य और मोक्ष की कामना की। मकर संक्रांति भगवान सूर्य को ही समर्पित पर्व है। मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और दिन लंबे और रात छोटी होने लगती है। स्नान के दौरान ही कई श्रद्धालुओं ने गंगा आरती की। वहीं, श्रद्धालुओं ने घाट पर ही मकर संक्रांति का पूजन-अर्चन किया और तिल-खिचड़ी का दान कर पुण्य कमाया।