नई दिल्ली, चीन की मेजबानी में दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए। इस दौरान सोमवार को नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। दोनों समकक्ष नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक संपन्न हुई। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की।
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट करके चीन के तियानजिन शहर में रूस और नेपाल के बीच द्विपक्षीय बैठक की पुष्टि की। विदेश मंत्रालय ने लिखा, “प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने सोमवार को तियानजिन में रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दोनों नेताओं ने नेपाल-रूस संबंधों को और मजबूत करने के साथ-साथ संस्कृति, व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को बढ़ावा देने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।”
इससे पहले रविवार को के.पी. ओली ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने नेपाल और चीन के मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की थी। साथ ही लिपुलेख दर्रे को व्यापार मार्ग के रूप में विकसित करने के भारत-चीन समझौते पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की थी।
ओली ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करके बताया था, “चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक की और विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। बैठक के दौरान, लिपुलेख दर्रे को व्यापार मार्ग के रूप में विकसित करने के भारत-चीन समझौते पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की।”
बता दें कि एससीओ एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई में हुई थी। इसके सदस्य देशों में चीन, रूस, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं।
एससीओ के दो पर्यवेक्षक अफगानिस्तान और मंगोलिया हैं, जबकि इसके 14 संवाद साझेदार देश हैं, जिनमें तुर्की, कुवैत, अजरबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया और नेपाल शामिल हैं। श्रीलंका, सऊदी अरब, मिस्र, कतर, बहरीन, मालदीव, म्यांमार और संयुक्त अरब अमीरात भी एससीओ के संवाद साझेदार हैं।
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