चंबा की लंबी दूरी की धाविका सीमा ने रविवार को कोलकाता में आयोजित 10वीं टाटा स्टील वर्ल्ड 25 किलोमीटर मैराथन में स्वर्ण पदक जीतकर और एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाकर एक बार फिर शानदार प्रदर्शन किया। सीमा चंबा जिले के रेता गांव की रहने वाली हैं और उनकी इस उपलब्धि ने राज्य और चंबा को गौरवान्वित किया है। सीमा ने इस कठिन सहनशक्ति दौड़ को 1 घंटे, 26 मिनट और 4 सेकंड में पूरा करके पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
25,000 मीटर की दौड़ एथलेटिक्स की सबसे कठिन लंबी दूरी की दौड़ में से एक मानी जाती है, जो न केवल शारीरिक शक्ति बल्कि मानसिक दृढ़ता की भी परीक्षा लेती है। सीमा ने पूरी दौड़ में एक स्थिर लय बनाए रखी और अंतिम चरणों में धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ाई, जिससे फिनिश लाइन पार करने से पहले उन्हें आरामदायक बढ़त मिल गई।
इस जीत के साथ सीमा ने अपने शानदार करियर में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है। इससे पहले वह जूनियर, युवा और वरिष्ठ राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक जीत चुकी हैं और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए लगातार देश और हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी हैं।
सीमा ने अपनी इस स्वर्णिम उपलब्धि का श्रेय अपने कठोर प्रशिक्षण, प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन और परिवार के अटूट समर्थन को दिया। उन्होंने कहा कि उनके गृह राज्य के चुनौतीपूर्ण भूभाग ने उनकी सहनशक्ति और मानसिक दृढ़ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संबंधित अधिकारियों ने कहा कि सीमा के प्रदर्शन ने भारतीय लंबी दूरी के धावकों के लिए एक मिसाल कायम की है। कोच और विशेषज्ञ मानते हैं कि सीमा की मौजूदा फॉर्म और निरंतरता उन्हें आगामी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है।
सीमा की सफलता की राह चुनौतियों से भरी थी। वह गरीबी में पली-बढ़ी और 12 साल की उम्र में अपने पिता को खो बैठी, जिसके बाद उसका परिवार खेती और पशुपालन पर निर्भर हो गया। इन कठिनाइयों के बावजूद, सीमा ने खेल में अपना करियर बनाया। स्कूल प्रतियोगिताओं में ही खेल के प्रति उसकी प्रतिभा को पहचान मिली और अंततः उसे जिला और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में जगह मिली।
सीमा के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उनका चयन भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) के छात्रावास के लिए हुआ, जहाँ उन्हें विश्व स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त हुआ। इस समर्थन ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, जिसकी शुरुआत 2015 में रांची में आयोजित जूनियर राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने से हुई। वर्षों से, उन्होंने जूनियर स्तर पर 2,000 मीटर और 3,000 मीटर दौड़ में राष्ट्रीय रिकॉर्ड सहित कई रिकॉर्ड तोड़े हैं।
सीमा की अंतरराष्ट्रीय सफलता भी उतनी ही प्रेरणादायक थी। आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, उनकी मां ने बैंकॉक में आयोजित एशियाई युवा चैंपियनशिप में सीमा की भागीदारी के लिए अपनी जमा पूंजी तोड़ दी, जहां उन्होंने कांस्य पदक जीता। यहीं से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी तरक्की की शुरुआत हुई और उन्होंने 2018 के युवा एशियाई ओलंपिक क्वालीफाइंग खेलों में रजत पदक जीता। 2024 में, उन्होंने हांगकांग में आयोजित 17वीं एशियाई क्रॉस-कंट्री चैंपियनशिप में 10,000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।

